नई दिल्ली। अब तक मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों में अपने घरों पर जनता दरबार लगाने के चलन था लेकिन दिल्ली की सरकार कुछ अलग सोचती है। केजरी...
नई दिल्ली। अब तक मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों में अपने घरों पर जनता दरबार लगाने के चलन था लेकिन दिल्ली की सरकार कुछ अलग सोचती है। केजरीवाल सरकार ने ऐलान किया है कि वो और उनके मंत्री हर शनिवार को सचिवालय के बाहर सड़क पर बैठेंगे और आम आदमी की समस्याओं को सुनेंगे।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, “हर शनिवार को मुख्यमंत्री समेत सभी 7 मंत्री सचिवालय के सामनेवाली सड़क पर बैठेंगे, ताकि किसी को भी आने-जाने के लिए को रुकावट न हो। सुबह 9.30 बजे से 11 बजे तक बैठेंगे जिसमें जनता का स्वागत है”
ये एक तात्कालिक व्यवस्था है जिससे लोगों की समस्या को सुना जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि समस्याएं रहें ही नहीं। उन्होंने कहा कि, “जनसमस्याएं तो लक्षण हैं बीमारी कहीं और है। कहीं न कहीं हमने कुछ ग़लत नीतियां बना रखी हैं जिससे जनता दुखी होती है और वो जनसमस्याओं में तब्दील होती है, लेकिन व्यवस्था सुधारने से पहले भी हमें समस्याओं का समाधान तो करना ही है। लिहाज़ा इसके लिए हमने ये व्यवस्था बनाई है।”
नई व्यवस्था की शुरुआत इसी शनिवार से हो रही है जिसके तहत सुबह 9.30 से 11 बजे तक मुख्यमंत्री समेत सातों मंत्री जनसमस्याएं सुनने के लिए सड़क पर बैठेंगे लेकिन इसके अलावा हर रोज़ एक मंत्री इसी समय में सचिवालय के सामनेवाली उसी सड़क पर बैठेंगे और जनसमस्याओं की अर्ज़ी लेंगे। इसमें वो अपने विभाग के साथ-साथ बाकी विभागों की शिकायतें भी लेंगे जिसे आगे बढ़ा दिया जाएगा।
सीएम ने समस्याओं के निपटान की व्यवस्था का भी ज़िक्र किया और बताया कि समस्याओं को 5 वर्गों में बांटा जाएगा और उसी हिसाब से उनके निपटान की समयसीमा तय की जाएगी।
जो समस्याएं अर्जेंट होंगी उन्हें वहीं पर फ़ोन कराकर सही कराने की कोशिश की जाएगी। जो बाकी समस्याएं हैं उन्हें वर्गों में बांटा जाएगा। - अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली
केजरीवाल के मुताबिक पहले वर्ग में वो समस्याएं जिसका समाधान तुरंत किया जा सकता है उसके लिए मंत्री उसी वक़्त अर्ज़ी पर लिखेगा कि कितने दिन में समस्या का समाधान हो जाएगा। दूसरा वर्ग वो है जिसमें समस्या का समाधान करने के लिए नीतियां बदलने की ज़रुरत है तो उसमें समय लगेगा, जिसे मंत्रियों को बढ़ा दिया जाएगा। तीसरी अर्ज़ियां वो हैं जो समस्या नहीं है सुझाव है, उसके लिए अलग सेक्शन बनाया जा रहा है जो सुझावों का अध्ययन करेंगे और मंत्रियों को बताएंगे। चौथा वर्ग वो है जो इन तीन वर्गों में नहीं आता और पांचवां वर्ग वो है जिसका सरकार से ताल्लुकात नहीं है।
पांचवें वर्ग के बारे में ज़िक्र करते हुए केजरीवाल ने उदाहरण दिया कि उनके पास एक लड़की अपनी शादी की समस्या लेकर आई थी
जैसे एक लड़की 3-4 दिन पहले आई थी कि मेरा ब्वॉयफ्रेंड मुझसे शादी नहीं कर रहा मेरी शादी करा दो तो उसमे मुख्यमंत्री चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता।– अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली
इसके बाद समस्याओं का समाधान हुआ कि नहीं इसका भी एक सिस्टम बनाया गया है, जिसके तहत समस्या का समाधान होने पर एक एसएमएस संबंधित व्यक्ति के पास जाएगा। एसएमएस में संबंधित व्यक्ति से पूछा जाएगा कि सरकार की तरफ़ से समाधान हो गया है अगर वो फिर भी संतुष्ट नहीं हैं तो जवाब में No लिखकर भेजे। अगर जवाब में No लिखकर आएगा तो उसके लिए केजरीवाल ने स्वयंसेवकों की टीम बनाई गई है जो पता करेंगे कि नागरिक क्यों संतुष्ट नहीं है। फिर उनकी रिपोर्ट के आधार पर अधिकारियों की ज़िम्मेदारी तय की जाएगी।