इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने उत्तरप्रदेश की अखिलेश यादव सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार ...
इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने उत्तरप्रदेश की अखिलेश यादव सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार की सहमति के बिना आंतक से समबन्धित कोई भी केस वापस नहीं ले सकती।समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बनाए गए घोषणा पत्र में ये वादा किया था कि सरकार बनने पर यूपी के जेलों में आतंकवाद के आरोप में बंद अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं के ऊपर से चल रहे केस हटा लेगी। पार्टी का कहना था कि कई युवा लंबे समय से जेलों में बंद हैं और इनके खिलाफ जांच एजेंसियां चार्जशीट भी दायर नहीं कर पाई हैं। इसलिए यूपी सरकार ने आंतकी वारदातों में बंद 19 आरोपी के खिलाफ केस वापस लेने का फैसला किया था। इसमें वाराणसी के संकटमोचन मंदिर ब्लास्ट के साथ 2007 में कोर्ट परिसर में हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपी भी शामिल हैं।
समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान वादा किया था कि गलत तरीके से आतंकी वारदातों में फँसाये गए अल्पसंख्यकों को वो न्याय दिलाएगी। ऐसा कहा जाता है कि गत विधानसभा चुनाव में पार्टी को इस घोषणा का फायदा भी हुआ और जब अखिलेश सिंह यादव सरकार में आए तो इसपर अमल भी शुरू कर दिया गया था। जिसका विपक्षी दलों ने ज़बरदस्त विरोध भी किया। अब हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के अरमानों पर पानी फेरते हुए साफ कर दिया है कि सपा सरकार अपनी इच्छा से केस वापस नहीं ले सकती और इसके लिए पहले उसे केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी होगी। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि ज्यादातर आरोपियों के खिलाफ केंद्रीय अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इसलिए राज्य सरकार केंद्र को जानकारी दिए बिना केस नहीं हटा सकती।