Officers of the three premier services — IAS, IPS and IFoS — will now spend a minimum of two years in each posting, according to new rules aimed at checking political interference
नई दिल्ली। IAS, IPS और IFoS के अधिकारियों को अब उनकी पोस्टिंग के 2 सालों के बीच में स्थानांतरित नहीं किया जा सकेगा। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने नए नियम बनाये हैं जिससे प्रशासनिक सेवाओं में सियासी दखल कम की जा सके।
हालांकि नये नियमों के तहत राज्यों को सिविल सर्विसेज़ बोर्ड का गठन करना होगा जो दो साल के भीतर भी तबादला करने का निर्णय ले सकता है।
नियम के मुताबिक एक कैडर अधिकारी जिसे किसी कैडर में पोस्ट किया गया वो दो साल तक उसी पोस्ट पर बना रहेगा जब तक कि उसकी पदोन्नति नहीं होती, या वो रिटायर नहीं होता या डेप्यूटेशन पर राज्य के बाहर नहीं भेजा जाता या फिर दो महीने से ज़्यादा की ट्रेनिंग पर नहीं भेजा जाता। नियम में ये भी कहा गया है कि केंद्र या राज्य सरकार किसी कैडर अधिकारी को न्यूनतम निर्धारित समय सीमा से पहले सिविल सर्विसेज़ बोर्ड की संस्तुति पर स्थानांतरित किया जा सकता है।
राज्य द्वारा गठित इस सिविल सर्विसेज़ बोर्ड के मुखिया होंगे मुख्य सचिव। हालांकि सक्षम प्राधिकारी सिविल सर्विसेज़ बोर्ड की संस्तुति को खारिज़ भी कर सकते हैं।
IAS के ट्रांसफर के लिए बोर्ड में वरिष्ठतम एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी या चेयरमैन होंगे, बोर्ड ऑफ रेवेन्यू या फाइनेंनशियल कमिश्नर होंगे, और एक समकक्ष अधिकारी सदस्य के तौर पर और प्रिंसिपल सेक्रेटरी या सेक्रेटरी ऑफ डिपार्टमेंट ऑफ परसनेल सचिव के तौर पर होंगे।
आईपीएस अधिकारियों के तबादले या नियुक्ति के लिए बोर्ड में दो सदस्य होंगे, प्रिंसिपल सेक्रेटरी या सेक्रेटरी होम और डीजीपी. जबकि आईएफएस अधिकारियों के संबंध में बोर्ड में दो अतिरिक्त सदस्य होंगे, प्रिंसिपल सेक्रेटरी या सेक्रेटरी (फॉरेस्ट) और राज्य के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने ये नए नियम जारी किए हैं।