नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक नई योजना शुरू की है जिसके तहत लावारिस बच्चों को संरक्षण दिया जाएगा और उन तक बाकी सरकारी योजनाओं को पहुंचाय...
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक नई योजना शुरू की है जिसके तहत लावारिस बच्चों को संरक्षण दिया जाएगा और उन तक बाकी सरकारी योजनाओं को पहुंचाया जाएगा, साथ ही उनमें और बाकियों में बच्चों के अधिकार के बारे में जागरूकता फ़ैलाने का काम किया जाएगा।
केंद्रीय महिला कल्याण विभाग की तरफ़ से संचालित समेकित बाल संरक्षण योजना को देश के हर गांव और शहर में लागू किया जा रहा है और इसके लिए राज्य सरकारों को उनकी ज़िम्मेदारी का ऐहसास दिलाने की भी कोशिश की जाएगी ताकि 18 साल तक के किसी भी लावारिस, कूड़ा बीननेवाले, भीख मांगनेवाले बच्चों को सुरक्षात्मक वातावरण उपलब्ध करवाया जा सके।
इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए ज़िलास्तर पर संरक्षण गृह बनाया जाएगा जिसके लिए सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया गया है। जिसके लिए हर ज़िले में प्रशासन को न सिर्फ संरक्षण गृह के संचालन संबंधी रिपोर्ट देनी है बल्कि उनके ज़िले में लावारिस और ज़रुरत मंद बच्चों का ब्यौरा भी शासन को सौंपना है, जिसके बाद से इस योजना को बड़े पैमाने पर लागू किया जाएगा।
योजना के तहत-
- 18 साल तक के लावारिस बच्चों को संरक्षण गृह में रखा जाएगा
- ऐसे बच्चे जो बेघर हैं उन्हें भी संरक्षण गृह में जगह दी जाएगी
- जिनके पास जीवकोपार्जन के लिए कोई साधन नहीं है उन्हें भी यहां रखा जाएगा
- ऐसे बच्चे जिनसे जबरन काम लिया जाता हो उनकी भी सहायता की जाएगी
- ऐसे बच्चे जो शोषित हों और जिन्हें जीने का सही माहौल नहीं मिल रहा
- योजना के तहत बाल संरक्षण सेवाओं में गुणात्मक उपभोग में सुधार लाया जाएगा
- बाल संरक्षण मुद्दों पर पदाधिकारियों और सम्मानित व्यक्तियों को उनकी क्षमता का विकास करना बताया जाएगा
- बाल अधिकारों और उनके अधिकारों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाया जाएगा
- विपरीत परिस्थितियों में बच्चों के लिए कानून द्वारा निर्धारित सहायता और सेवाएं उन तक पहुंचाना बताया जाएगा
- बच्चों के जोखिमों में कमी लाना मकसद होगा
- बेहतर बाल सुरक्षा प्राथमिकता होगी
- विविध बाल सुरक्षा सेवाओं की उपलब्धता और पहुंच बढ़ाने की कोशिश की जाएगी
- बच्चों के लिए बेहतर गुणात्मक पूर्ण संस्थागत देखभाल की व्यवस्था की जाएगी