नई दिल्ली। भारत ने देवयानी मामले में और कड़ा रूख अपनाते हुए अमेरिका को आगाह किया है कि अब वक़्त बदल चुका है। न्यूयॉर्क में भारत की डेप...
नई दिल्ली। भारत ने देवयानी मामले में और कड़ा रूख अपनाते हुए अमेरिका को आगाह किया है कि अब वक़्त बदल चुका है। न्यूयॉर्क में भारत की डेप्यूटी कांसुल जनरल देवयानी खोबरागड़े को 12 दिसंबर को गिरफ़्तार किया था जिसके बाद से दोनों मुल्कों में तनाव का माहौल है। नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल इस बावत विदेश विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर के मामले को शांत करने की कोशिशों में लगे हैं और ऊधर अमेरिका ने साफ़ कर दिया है कि वो न तो देवयानी पर लगे आरोपों को वापस लेगा ना ही इस बारे में कोई माफ़ी मांगेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने कहा इस मामले का असर दोनों मुल्कों के रिश्तों पर नहीं पड़ना चाहिए। लेकिन अमेरिका के रूख से भारत ख़फ़ा है। संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि, "उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए। हम भारत के ख़िलाफ़ ऐसा व्यवहार किसी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे। अमेरिका को अब ये समझना होगा कि दुनिया बदल चुकी है, समय बदल चुका है और भारत बदल चुका है।"
देवयानी के मामले में अमेरिका ने जिस तरह का व्यवहार किया है वो सिर्फ भारत का मामला नहीं है बल्कि सभी देशों के लिए है और हर किसी को आवाज़ उठानी चाहिए- कमलनाथ, संसदीय कार्यमंत्री
सलमान खुर्शीद इस मसले को लेकर केरी से बात करनेवाले हैं। खुर्शीद ने वेनेज़ुएला के विदेश मंत्री की मौजूदगी में कहा कि, "सवाल एक ही है कि आप तब क्या कर रहे थे जब ये दुखदायी घटना घटी, जो नुकसान पहुंचानेवाली और अस्वीकार्य है। आपको एक रास्ता निकालना होगा और हमे उम्मीद है कि हम रास्ता निकाल लेंगे।"
39 साल की देवयानी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी नौकरानी को न्यूयॉर्क में तय न्यूनतम मज़दूरी से कम मज़दूरी दी और वीज़ा आवेदन पर इस बारे में झूठ बोला। अमेरिकी सरकारी वकील प्रीत भरारा जिनके कहने पर देवयानी को गिरफ़्तार किया, ने कहा है कि देवयानी को सबसे विचारशील तरीके से गिरफ़्तार किया गया और हमारा एक मात्र मकसद है क़ानून का राज स्थापित करना, पीड़ित की रक्षा करना और उनको पकड़ना जिन्होंने क़ानून तोड़ा है, चाहे वो कितने भी ताक़तवर हों, अमीर हों, या संपर्कवाले हों।
भारत ने खोबरागड़े को पूर्ण राजनयिक छूट दिलाने के लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मिशन में ट्रांसफर कर दिया है लेकिन उसके लिए भी वहां के विदेश विभाग से संस्तुति की ज़रूरत होगी।
विदेश विभाग की ओर से गुरुवार को जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका यूं ही मामला वापस नहीं ले सकता क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया स्वतंत्र है और सरकार से अलग है।