नई दिल्ली। अब तक ऐंठकर जवाब देनेवाला अमेरिका अब नरम रूख अपनाने लगा है। देवयानी खेबरागड़े के मामले में अमेरिका ने खेद जताया है कहा कि इससे ...
नई दिल्ली। अब तक ऐंठकर जवाब देनेवाला अमेरिका अब नरम रूख अपनाने लगा है। देवयानी खेबरागड़े के मामले में अमेरिका ने खेद जताया है कहा कि इससे भारत के साथ अमेरिकी के करीबी संबंधों को प्रभावित नहीं होने दाना चाहिए। ये बातें अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन से फोन पर बातचीत के दौरान कहीं।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की उप प्रवक्ता मेरी हर्फ ने एक वक्तव्य में कहा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मेनन से बातचीत में उन्होंने (जॉन केरी) खेद प्रकट किया। साथ ही उन्होंने अपनी चिंता का इज़हार किया कि हमें इस दुर्भाग्यपूर्ण सार्वजनिक मुद्दे को भारत के साथ अपने करीबी और महत्वपूर्ण संबंधों को प्रभावित नहीं करने देना चाहिए।'
वक्तव्य में ये भी कहा गया कि जॉन केरी ने देवयानी की उम्र जितनी अपनी दो बेटियों का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में वो भारत से जो सुन रहे हैं उससे संवेदनशीलता के साथ सहानुभूति रखते हैं। लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने वक्तव्य में ये भी जोड़ा कि विदेश मंत्री उम्मीद करते हैं कि उनके देश में हर कोई क़ानून का पालन करे।
यह खासतौर पर महत्वपूर्ण है कि अमेरिका में काम कर रहे विदेशी राजनयिकों को वैसे ही सम्मान और गरिमा प्रदान की जाए, जैसा हम विदेश में अपने राजनयिकों के लिए अपेक्षा करते हैं। - जॉन केरी, अमेरिकी विदेश मंत्री
ऐसा वक़्तव्य तब आया है जब भारत ने देवयानी मामले में कड़ा रूख अख़्तियार करते हुए न सिर्फ भारत में अमेरिकी दूतावास से सुरक्षा घेरा हटाया और इंपोर्ट पर प्रतिबंध लगाया बल्कि संसद में इसकी कड़े शब्दों में प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने निंदा करते हुए कहा कि वो इस मामले में कड़ी कार्रवाई करेंगे। इस बीच में विदेश मंत्रालय ने अमेरिका को जवाब देते हुए देवयानी खोबरागड़े को न्यूयॉर्क में संयुक्ट राष्ट्र के स्थायी मिशन में ट्रांसफ़र किया जिससे वो पूर्ण राजनयिक छूट की अधिकारी हो गईं।
व्हाइट हाउस ने भी इस बावत बयान जारी कि या है और कहा है कि इसे एक पृथक घटना के तौर पर लेना चाहिए ना कि परस्पर सम्मानपूर्ण संबंधों के सांकेतिक के तौर पर।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्ने ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मामले की समीक्षा की जा रही है और पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि गिरफ़्तारी से जुड़ी मानक प्रक्रिया का पालन किया गया या नहीं और शिष्टाचार से पेश आया गया या नहीं। कार्ने ने ये भी साफ़ किया कि राष्ट्रपति बराक ओबामा मामले से परिचित हैं।
दिल्ली में अमेरिकी दूतावास पर की गई भारत की कार्रवाई पर जे कार्ने ने कहा कि मामले की जानकारी राष्ट्रपति बराक ओबामा को है और हम विदेश में अपवे राजनयिकों और वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों की सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देते हैं।