नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती और वो जानती है कि अब देश की जनता टैक्सेज़ को लेकर परेशान है। लिहाज़ा ...
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती और वो जानती है कि अब देश की जनता टैक्सेज़ को लेकर परेशान है। लिहाज़ा बीजेपी का थिंक टैंक सभी तरह के टैक्सेज़ को ख़त्म कर के सिर्फ एक टैक्स की नीति पेश करने पर विचार कर रहा है।
पिछले दिनों स्वामी रामदेव ने ऐसा ही एक सुझाव दिया था कि सभी तरह के टैक्स हटाकर बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स लाया जाये जो देश में बैंक खातों में होनेवाले हर लेन-देन पर लगेगा। बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी ने रामदेव के फॉर्मूले को समर्थन देने की बात भी कही थी। अब बीजेपी भी इसी तरह का प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है।
बीजेपी की योजना है कि इंकम, सेल्स और एक्साइज़ टैक्स को ख़त्म कर के एक प्लास्टिक कार्ड लाया जाये और उससे जो भी लेन-देन हो उस पर टैक्स लगे। बीजेपी अपनी इस योजना से एक बड़े वर्ग का वोट बैंक खींचने की कोशिश करेगी।
रविवार को नरेंद्र मोदी ने भी तालकटोरा स्टेडियम में स्वाभिमान ट्रस्ट की स्थापना दिवस पर करों को लेकर कहा था कि, “मौजूदा करों की व्यवस्था आम आदमी पर बोझ है। अब एक नई कर व्यवस्था की आवश्यकता है। शुरुआत में हो सकता है थोड़ी परेशानी हो लेकिन हम रास्ता निकाल लेंगे।”
पिछले साल यूपीए सरकार 50 साल पुराने इंकम टैक्स को हटाने के लिए डायरेक्ट टैक्स कोड बिल लेकर आई थी। लेकिन 2008 में पी चिदंबरम के लाये इस बिल में पुरानी व्यवस्था को ख़त्म करने जैसा कुछ नहीं था। यहां तक कि नए डीटीसी बिल में आयकर की छूट को 2 लाख ही रखा गया और इसमें एक नया चौथा स्लैब डाला गया है जिसमें 10 करोड़ से ऊपर की आय पर 35% कर लगाने का प्रावधान है, जिस पर उद्योगपतियों और कारोबारियों ने ऐतराज़ जताया।
डीटीसी बिल को लेकर बनी स्टैंडिंग कमेटी ने सुझाव दिया है कि कर छूट की सीमा 3 लाख कर दी जाये। बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा की अगुवाई में कमेटी ने टैक्स स्लैब में भी बदलाव का सुझाव दिया है।
पिछले महीने बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा था कि पार्टी आम आदमी पार्टी की तर्ज पर ऐसे मुद्दे पर काम कर रही है जो मतदाताओं को आकर्षित करेगा। उन्होंने कहा था कि बीजेपी अपने विज़न डाक्यूमेंट 2025 में ऐसा प्रस्ताव लाने जा रही है जिसमें इंकम, सेल्स और एक्साइज़ टैक्स को ख़त्म करने का प्रावधान होगा। बाद में राजनाथ सिंह ने इसका समर्थन किया।
2 जनवरी को पुणे में एक कर विरोधी संगठन अर्थक्रांति ने बीजेपी वरिष्ठ नेताओं, राजनाथ सिंह, एल के आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, यशवंत सिन्हा और नितिन गडकरी के सामने प्रेजेंटेशन देकर बताया कि कैसे बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स लगाकर कर व्यवस्था को सरल किया जा सकता है।
हालांकि यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली को इस योजना पर शक है। सिन्हा के मुताबिक अगर हम इंकम, सेल्स और एक्साइज़ टैक्स हटाते हैं तो हमें वेदिक टाइम में जाना होगा। जेटली का कहना है कि आप अमीर और ग़रीब दोनों पर एक तरह का टैक्स नहीं लगा सकते, इसमें तमाम क़ानूनी अड़चनें हैं और हमें हर तरह से चीज़ों को देखना होगा।