seperatist leaders from jammu and kashmir tensed
नयी दिल्ली। आम आदमी पार्टी की दिल्ली में शानदार सफलता के बाद सिर्फ देश के राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि जम्मू एवं कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की भी नींद उडी हुई है। वे इस बात से डरे हुए हैं कि संभवत: यह पार्टी राज्य में अपना प्रभाव बना लेगी। यह बात अलगाववादी नेताओं में से एक मोहम्मद यासीन मलिक ने अपने एक बयान में कहा है. दिल्ली में 'आप' की शानदार जीत के बाद जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट नेता यासीन ही वह पहले शख्स थे, जिन्होंने आप को 'कश्मीर विरोधी' पार्टी की उपाधि दी थी।
यही नहीं जब 'आप' नेता प्रशांत भूषण ने आबादी वाले क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की मौजूदगी के बारे में जनमत संग्रह कराने का सुझाव दिया तो मलिक ने उन्हें भारतीय जनता पार्टी के आदमी की उपाधि दी। वहीं, भाजपा ने उन्हें अलगाववादियों का एजेंट करार दिया। सिर्फ यासीन मलिक ही नहीं, बल्कि सैयद अली शाह गिलानी ने भी भाषण पर निशाना साधा। यह देखने में बहुत ही दिलचस्प बात है कि क्यों जम्मू एवं कश्मीर के अलगाववादी नेता आप पार्टी से डरे हुए हैं।
इन अलगाववादी नेताओं को उनके भ्रष्ट आचरण या मुख्यधारा के दलों द्वारा बनाई जगह के चलते समाज के विमुख वर्गों ने
हमेशा ही दरकिनार किया है। ऐसे में अब आप के आगमन और उसके राष्ट्रीय प्रभाव की वजह से जम्मू एवं कश्मीर राज्य की राजनीति में इसके प्रवेश पर एक बहस छिड़ गई है।
यही कारण है कि जब कुछ बुद्धिजीवियों और नागरिक समाज समूहों ने जम्मू एवं कश्मीर में विकल्प के रूप में आप पर चर्चा
शुरू की तो अलगाववादी नेता खीझ उठे। यहां तक कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी जम्मू एवं कश्मीर में आप पार्टी की लोकप्रियता और इसके आकर्षण से सहमे दिखते हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि 'आप' जम्मू कश्मीर में क्या कमाल दिखती है।