up govt will remove cases from muslim leader
लखनऊ। लोकसभा चुनाव करीब आते ही लोक लुभावन वादों का सिलसिला राजनीतिक पार्टियों द्वारा शुरू हो चूका है। इसी क्रम में यूपी की समाजवादी सरकार ने अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए अपना मुस्लिम कार्ड फेका है। ख़बरज़ोन के सूत्रों के मुताविक मुजफ्फरनगर में दंगों से पहले भड़काऊ भाषण देने के आरोपी बीएसपी और कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं से सरकार केस वापस लेने की तैयारी कर रही है और इतना ही नहीं सरकार ने इस बाबत जिला प्रशासन से राय भी मांगी है। बताया जा रहा है कि यूपी सरकार ने मुजफ्फरनगर और शामली जिला प्रशासन से पूछा है कि जनहित में इन नेताओं पर केस वापस लिया जा सकता है या नहीं?
यूपी सरकार के इस फैसले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने हल्ला बोल दिया है। दोनों पार्टियों ने इस कदम को महज सरकार की वोट बैंक राजनीति करार दी है। दरअसल इन सभी नेताओं पर पुलिस ने धारा 144 तोड़ने और भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया था और इन्हीं मुकदमों को वापस लेने की तैयारी में अखिलेश सरकार जुट गई है। जिन नेताओं पर उकसाने वाला भाषण देने का आरोप है उनमें बीएसपी सांसद कादिर राना, उनके भाई और बीएसपी विधायक नूर सलीम राना, विधायक मौलाना जमील, पूर्व गृह राज्यमंत्री सईदुज्जमा समेत कई नेता शामिल हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि जिस तरह से चुनाव करीब आता जा रहा है राजनीतिक पार्टियाँ वोटरों को लुभाने के लिए और कौन-कौन सा दांव चलेंगी।