analysis of politics in bihar
![](http://3.bp.blogspot.com/-EX_A3b25bXU/Uw3BsPlmQwI/AAAAAAAAIs0/MdXRtuoFSko/s1600/lalu-yadav-nitish-kumar.jpg)
पटना। बिहार का राजनीतिक समीकरण दिन-ब-दिन बनता बिगड़ता जा रहा है साथ ही हर रोज एक नए समीकरण की अटकलें लगनी शुरू हो जाती हैं। कभी भाजपा का साथ देने वाली जदयू मोदी के मुद्दे पर अलग होते ही कांग्रेस पर डोरे डालना शुरू कर देती है। फिर जब वहाँ बात नहीं बनती है तो रामविलास पासवान पर अपने लल्लो-चप्पो फैंकती है। वहीँ भाजपा मोदी के नाम पर चुनावी बैतरनी पार करने का दंभ भरती है लेकिन रालोसपा जैसी छोटी पार्टी पर का सहारा लेना भी नहीं भूलती साथ ही लोजपा को भी बेड़े में शामिल करने में जी-जान से जुटी हुई है। वही राजद के पास कांग्रेस के अलावा सहारा बचता नहीं है क्यूंकि इनके पुराने दिनों के साथी पासवान अब अपनी झोपड़ी से लालटेन को बाहर रख दिया और कमल अपने झोपडी के अंदर रखने को तैयार दिखायी दे रहे हैं।
![](http://4.bp.blogspot.com/-HdfRnueCy-o/Uw3B-swXYxI/AAAAAAAAIs8/tL0T90k5YvY/s1600/Samrat.jpg)
नीतीश कुमार भाजपा से अलग होने के बाद से ही इस रणनीति पर काम कर रहे थे कि बिहार में कोई मजबूत गठबंधन ना बने खास करके कांग्रेस राजद और लोजपा के बीच. अब राजद, लोजपा और कांग्रेस के बीच हो रहे महागठबंधन को रोकने में भेल ही नीतीश कामयाब हो गये हो । लेकिन भाजपा और लोजपा में गठबंधन ने नीतीश कुमार की नींद उड़ा दी है। इसलिए नीतीश कुमार एक बड़ा दाव खेलने के फिराक में थे इसलिए वो राजद में एक विद्रोही की तलाश में जुट गए। उस विद्रोही के रूप में उन्हें मिला कुशवाहा के धाकड़ नेता शकुनी चौधरी के पुत्र सम्राट चौधरी। सम्राट चौधरी खगड़िया के परवत्ता विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और विधानसभा में राजद के प्रमुख सचेतक भी थे। सम्राट एक बार पहले भी नीतीश कुमार को झटका दे चुके हैं जब इनके पिता शकुनी चौधरी समता पार्टी के सांसद थे। उस वक़्त ये पिता को छोड़कर राजद में शामिल हो गए थे और राजद सर्कार में कैबिनेट मंत्री भी बन गए थे जबकि उस वक़्त सम्राट चौधरी किसी भी सदन के सदस्य भी नहीं थे। इनके राजद में शामिल होने के कुछ दिनों बाद इनके पिता भी राजद में शामिल जो गए थे।
![](http://3.bp.blogspot.com/-ACTduYfR7M8/Uw3CNAxDZ9I/AAAAAAAAItE/jlqvxLvdO5I/s1600/ramvilas+n+son.jpg)
![](http://1.bp.blogspot.com/-E0y_Cy83d_I/Uw3CY036tiI/AAAAAAAAItM/dsg0NcYKuiY/s1600/modi3.jpg)
दरअसल नीतीश के राजद टूट की राजनैतिक चाल का यही गणित उलट हो गया है और इस गणित के परिणाम नीतीश के लिए खासे नुकसान दायक हो सकते हैं। अगर राजद टूट की पूरी चाल कामयाब हो जाती तो शायद ये नीतीश के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती थी। लेकिन जिस आक्रामकता के साथ लालू ने अपनी पार्टी का बचाव किया और अपने विधायकों को वापस पार्टी में लौटा लिया, ये नीतीश कुमार के लिए किसी चेतावनी से कम नहीं है. वैसे अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आगे ये राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठता है लेकिन फिलहाल नीतीश को नुकसान होता ही दिख रहा है।
लगातार ख़बरों से अपडेट रहने के लिए खबरज़ोन फेसबुक पेज लाइक करें