जिस तरह से सत्ता के सेमीफ़ाइनल में बीजेपी उभर कर सामने आई है, उसका श्रेय किसे दिया जाना चाहिए ? क्या ये बीजेपी की जीत है या कांग्रेस...
जिस तरह
से सत्ता के सेमीफ़ाइनल में बीजेपी उभर कर सामने आई है, उसका श्रेय किसे दिया जाना
चाहिए? क्या ये बीजेपी की जीत है या कांग्रेस की हार है?
देखा
जाये तो अगर नतीजे किसी भी राज्य में कांग्रेस को फायदा पहुंचाते दिखाते तो कहा जा
सकता था कि ये बीजेपी की जीत है लेकिन एक साथ सभी राज्यों में हुए हाथ को नुकसान
ने ये ज़ाहिर कर दिया है कि ये बीजेपी की जीत कम और कांग्रेस की हार ज़्यादा है।
तो क्या कांग्रेस अपना बना बनाया जनाधार भी खो रही है? इसे समझना है तो दिल्ली के चुनावों पर राजीव
शुक्ला का बयान पर ग़ौर करना चाहिए। राजीव शुक्ला ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को
कांग्रेस के परम्परागत कमज़ोर वर्ग का समर्थन मिला जिसकी वजह से उन्होंने इतनी
ज़्यादा सीटें हासिल की। ज़ाहिर है कांग्रेस अपना जनाधार ही खो रही है। कमज़ोर
वर्ग का वो वोट जिसे लुभाने के लिए यूपीए सरकार से लेकर राज्य सरकारों तक ने
फ्लैगशिप प्रोग्रैम चलाए लेकिन उस वर्ग ने कांग्रेस के लोक लुभावने कार्यक्रमों को
भी नज़रअंदाज़ करते हुए विकल्पों पर ग़ौर किया। इस बात की तस्दीक चुनाव नतीजों पर
बयान देते हुए सोनिया गांधी ने की।
लोकलुभावन कार्यक्रम नहीं आए काम- सोनिया गांधी
राजस्थान में सीएम ने बहुत अच्छे कार्यक्रम चलाये, तो वहां सवालिया निशान है और दिल्ली में भी 3 बार से सरकार है और मैं मानती हूं कि बहुत अच्छा काम हुआ लेकिन नतीजे कुछ और ही कहते हैं
कांग्रेस
अपनी रणनीतियां दोबारा बना सकती है और अब उसके सामने चुनौती रहेगी कि वो लोकसभा
चुनावों से पहले कांग्रेस के ख़िलाफ़ लोगों में गुस्से को सिर्फ कम न करे बल्कि
उसे ख़त्म करे जिसके लिए हाथ के पास वक़्त बेहद कम है और ये मिशन इमपॉसिबल लगता है।
लोग खुश नहीं थे - सोनिया गांधी लोगों की शिकायतें हैं, लोग खुश नहीं हैं नहीं तो वो ऐसा नतीजा नहीं देते