पटना। चुनाव के पहले अगर राज्य के वरीय आधिकारियों के तबादले शुरू हो जाएँ तो समझ लीजिये कि चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। ठीक ऐसा ही...
पटना। चुनाव के पहले अगर राज्य के वरीय आधिकारियों के तबादले शुरू हो जाएँ तो समझ लीजिये कि चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। ठीक ऐसा ही हाल बिहार में शुरू हो चूका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सात वरीय पुलिस अधिकारियों का तबादला करते हुए चुनाव का सांकेतिक बिगुल फूँक दिया है। साथ ही ऐसा भी कहा जा रहा है कि गठबंधन टूटने के बाद जो जातिए समीकरण बिगड़ चूका है उसे भी सम्भालने की पूरी कोशिश हो रही है। नीतीश कुमार सत्ता में वापसी और आम चुनाव पर अपना एकाधिकार बरकरार रखने के लिए हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं।
गुप्तेश्वर पाण्डेय और अरविन्द पाण्डेय सरीखे वरीय अधिकारी को मुख्यधारा वाली पोस्टिंग दे कर ब्राम्हण मतदाताओं में सन्देश देने की कोशिश मानी जा रही है। वहीँ सुनील कुमार को भी ख़ास पोस्टिंग दे कर दलित मतदाताओं को भी रिझाया जा रहा है। लेकिन रिझाने का सिलसिला यही पर ख़त्म नहीं हो रहा है। ख़बरें ये भी हैं कि दलित वोटों पर बड़ी सेंध मारने के लिए अब नीतीश कुमार एक बड़ा पासा फेंकने की तैयारी में जुटे हैं। बहुत जल्द दलित अम्ब्रिक सिंह निम्ब्रान को बिहार का डी जी पी बनाया जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए तीन दर्जन से ज्यादा एस पी, 150 डी एस पी और कई वरीय पदाधिकारियों के तबादले और किये जाएंगे। यहाँ मतलब साफ़ है कि पुलिस अधिकारिओं का तबादला कर नीतीश कुमार ब्राम्हण दलित समीकरण को अपने पक्ष करने की पूरी कोशिश करते हुए चुनाव कि तैयारी में जुट चुके हैं।