सोमवार को राज्यसभा में जिस लोकपाल पर चर्चा होनेवाली है, उस पर सदन के बाहर काफ़ी चर्चा हो चुकी है और अभी भी चर्चा चल रही है। कोई सरकारी ...
सोमवार को राज्यसभा में जिस लोकपाल पर चर्चा होनेवाली है, उस पर सदन के बाहर काफ़ी चर्चा हो चुकी है और अभी भी चर्चा चल रही है। कोई सरकारी लोकपाल को जोकपाल बता रहा है, कोई इसी लोकपाल को देश के लिए वरदान बता रहा है। आख़िर दोनों में अंतर क्या है? आप देखिए अंतर और ख़ुद तय करिये कौन सा लोकपाल ज़्यादा मज़बूत है या ये तय करिये कि सरकारी लोकपाल को पास किया जाना चाहिए या नहीं?
लोकपाल
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जनलोकपाल
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पूर्व प्रधानमंत्री शामिल
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प्रधानमंत्री होना चाहिए
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सदन के बाहर सांसद, विधायक का
आचरण शामिल
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सदन के बाहर या भीतर कहीं भी सांसद,
विधायक का आचरण शामिल होना चाहिए
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जज शामिल नहीं
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जज शामिल होने चाहिए
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क्लास ए अफसर शामिल
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सभी अधिकारी, कर्मचारी हों
शामिल
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NGO के अफ़सर शामिल
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NGO का ज़िक्र नहीं
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8 सदस्य और अध्यक्ष का लोकपाल
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10 सदस्य और अध्यक्ष शामिल
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4 सदस्य न्यायिक पृष्ठभूमि के
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4 सदस्य न्यायिक पृष्ठभूमि के
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सीधे चयन समिति तय करेगी जिसमें
प्रधानमंत्री, दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष, एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, एक विधिविद्, एक सामाजिक जीवन में प्रख्यात
व्यक्ति शामिल होंगे। चयन समिति विवेक के आधार पर एक खोज समिति बना सकती है
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लोकपाल के चयन के लिए 10
सदस्यों की खोज समिति होनी चाहिए जिसमें 5 सदस्य सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश,
मुख्य चुनाव आयुक्त या नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG)
जो 5 अन्य सदस्यों को सिविल सोसायटी से चुने। इनके द्वारा नामित संभावित लोकपाल
की सूची चयन समिति के पास जाए जिसमें प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, दो सुप्रीम
कोर्ट के जज, दो हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक और
महालेखा परीक्षक (CAG) और सभी पूर्व लोकपाल अध्यक्ष
शामिल होंगे जो लोकपाल का गठन करेंगे।
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लोकपाल में क़ानूनी सदस्य के
लिए अहर्ता है कि वो सुप्रीम कोर्ट के जज या हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे
हों। अन्य सदस्यों के लिए भ्रष्टाचार रोधी नीति में, लोक प्रशासन में, गुप्तचर में
या वित्तीय मामलों में 25 साल का अनुभव
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लोकपाल के अहर्ता ये होनी
चाहिये कि वो कम से कम 10 सालों तक न्यायाधीश रहे हों या 15 सालों तक हाईकोर्ट
या सुप्रीम कोर्ट में वकालत किये हों। न्यूनतम आयु 45 साल हो और सरकारी नौकरी
छोड़े 2 साल हो चुके हों।
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लोकपाल को हटाने के लिए राष्ट्रपति
ख़ुद से या 100 सांसदों के अनुरोध पर या किसी नागरिक की शिकायत पर यदि
राष्ट्रपति को सही लगता है, तो वो सुप्रीम कोर्ट को जांच के लिए कह सकते हैं और
सदस्य के दोषी पाये जाने पर हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति उन्हें भी निकाल सकते
हैं जो मानसिक तौर पर दिवालिये हो गये हैं या किसी और जगह नौकरी कर रहे हों।
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लोकपाल को हटाने के लिए कोई भी
व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट जा सकता है और अगर सुप्रीम कोर्ट को दुर्व्यहार, मानसिक
दिवालियेपन या किसी और जगह नौकरी करने की बात पता लगती है तो वो राष्ट्रपति को
संबंधित सदस्य को हटाने के लिए कह सकते हैं।
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सिर्फ भ्रष्टाचार के मामलों को
देखेंगे
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भ्रष्टाचार के अलावा सरकारी
अफसरों के आपराधिक मामलों को भी देखेंगे
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लोकपाल के नीचे एक जांच विंग
दिया जाएगा
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भ्रष्टाचार के मामलों को देखने
के लिए लोकपाल के दायरे में सीबीआई रहेगी
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लोकपाल के नीचे एक अभियोजन विंग
होगा
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सीबीआई का अभियोजन विंग काम
देखेगा
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लोकपाल एक विशेष अदालत में
अभियोजन शुरू कर सकता है। बिना कोई पूर्व अनुमति के लोकपाल सक्षम प्राधिकारी को
रिपोर्ट की कॉपी भेज सकता है
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प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसद,
जज का अभियोजन बिना 7 सदस्यों की लोकपाल की बेंच की अनुमति के नहीं हो सकती
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लोकपाल में सिटीज़न चार्टर नहीं
है जिसमें सभी विभागों को समयबद्ध काम न करने पर कोई भी नागरिक लोकपाल को शिकायत
कर सकता है
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नागरिकों के लिए हर विभाग
सिटीज़न चार्टर बनाना होगा। ऐसे मामलों में लोकपाल नागरिकों की शिकायतों का भी
निवारण करेगा।
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