Modi Roars in Mumbai Rally
भाजपा के प्रधानमन्त्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी अपने चुनावी रैली यात्रा के दौरान वाराणसी के बाद मुंबई पहुँचे। जहाँ आज इनकी महागर्जना रैली थे और मोदी जी कांग्रेस पर यहाँ जम कर गरजे। नरेन्द्र मोदी मराठी में अपने भाषण की शुरुआत करते हुए देश को कांग्रेस मुक्त करने का आह्वान किया। अपने पूरे भाषण के दौरान उन्होंने सिर्फ कांग्रेस को अपने निशाने पर रखा। आक्रामक भाषण के अंत में उन्होंने 'वोट फॉर इंडिया' का नया नारा भी दिया। गौरतलब है कि 'वोट फॉर गुजरात' के नारे का जलवा पूरा देश देख चुका है और अगर मोदी जी के आज के जलवे की हम बात करें तो उन्होंने यूपीए सरकार को पानी पी पी कर कोसा। मोदी ने कुशासन को डायबिटीज जैसी बीमारी बताया और 'श्रम एव जयते' व 'वोट फॉर इंडिया' का नारा दिया। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा- देश, दल से बड़ा होता है और मैं आपसे अपील करता हूं कि 2014 चुनाव में आप किसी दल के नहीं बल्कि देश के लिए मतदान करें। उन्न्होंने कहा कि 'वोट फॉर इंडिया' के ही जरिए देश को वंशवाद, गरीबी, भूख जैसी समस्याओं से निजात मिल सकेगी।
आज मुबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लैक्स में भाजपा ने अपनी ताकत दिखाई। यह क्षेत्र मुंबई में आर्थिक गतिविधियों के नए केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। यह क्षेत्र राजग सहयोगी शिवसेना का गढ़ माना जाता है। इस क्षेत्र में भाजपा की अकेलेदम महागर्जना रैली इस लिहाजा से भी अहम मानी जा रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जरूर बालासाहेब ठाकरे का जिक्र किया, लेकिन मोदी के मंच से यह संदेश भी केवल मराठी हिंदुत्व को जोड़ने की कोशिश थी। बताया जा रहा है कि ये रैली इस मैदान की अब तक की सबसे बड़ी रैली थी और नरेन्द्र मोदी ने यहाँ केवल कांग्रेस पर ही निशाना साधा। राहुल गांधी पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कांग्रेस के शासन में होता है कि सरकार भ्रष्टाचार करती है और उनका नेता इसके खिलाफ उपदेश देता है। वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा के सभी सांसदों ने लिखकर दिया है कि उनका विदेश में कोई खाता नहीं है। कांग्रेस सांसदों ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन नेता हैं कि गरीबों की बात करते हैं।
रैली के मुख्य बिंदु
चायवालों को वीआईपी पास
मोदी ने 'महागर्जना' रैली में चायवालों को वीआईपी पास दिए जाने की बात करते हुए कहा कि आने वाले वक्त में देश का हर गरीब वीआईपी होगा। मुंबई रैली में मोदी ने मोदी रैली में आई भीड़ का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा दृश्य पहले कभी देखने को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि जहां तक नजर पहुंच रही है, माथे ही माथे नजर आ रहे हैं। भाजपा 'महागर्जना रैली' में करीब 10 लाख लोगों के जुटने की बात कही है।
राहुल गांधी पर चलाए तीर
मोदी ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा- शनिवार को मैंने कांग्रेस के एक बड़े नेता का भाषण सुना। इनकी हिम्मत तो देखो, एक तरफ तो भ्रष्टाचारी नेताओं को महाराष्ट्र सरकार बचाती है और दूसरी ओर दिल्ली में उनके नेता भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। शनिवार को राहुल गांधी ने फिक्की के कार्यक्रम में भ्रष्टाचार को देश की सबसे बड़ी समस्या बताया था।
धरोहर बिक रहा है
मोदी ने आईएनएस विक्रांत की नीलामी पर कहा कि दिल्ली की सरकार धरोहरों को बेच रही है, जबकि हम गांव-गांव से लोहा मंगाकर धरोहर बनाने का प्रयास कर रहे हैं
उत्तर भारतियों को निराश किया
रैली में आये उत्तर भारतीय को मोदी से बहुत निराशा हुई। ज्ञात हो कि मुंबई में बड़ी तादाद में यूपी और बिहार के लोग रहते हैं। आए दिन इन पर यहाँ हमले होते रहते हैं। उम्मीद थी कि मोदी इनके बारे में भी कुछ बोलेंगे लेकिन मोदी ने इस मसले पर कुछ नहीं कहा।
राहुल को शहजादा नहीं कहा
कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना जारी रहा। आज रैली की एक अलग बात यह रही कि नरेन्द्र मोदी ने राहुल को इस बार 'शहजादा' नहीं पुकारा, बल्कि कांग्रेस का एक बड़ा नेता कहा।
मराठी में भाषण की शुरुआत
उन्होंने मराठी में भाषण की शुरुआत की और छत्रपति शिवाजी व बाबा साहेब अंबेडकर का नाम लेने के बाद मराठी में ही देश को "कांग्रेस से मुक्त" बनाने की अपील की। मोदी ने मंच पर मौजूद पार्टी नेताओं और रैली में जुटी भीड़ का स्वागत मराठी में ही किया।
महाराष्ट्र-गुजरात का कनेक्शन
मोदी ने महाराष्ट्र और गुजरात का कनेक्शन जोड़ा। मोदी ने कहा कि गुजरात वालों के लिए मुंबई दूसरा घर है। मुंबई गुजराती भाषा का मायका है। पहले हम एक ही थे। दोनों एक ही राज्य (बृहत महाराष्ट्र) के हिस्से रहे। महाराष्ट्र हमारा बड़ा भाई है। गुजरात छोटा भाई है। बंटवारे के बाद गुजरात में केवल 14 सीएम बने जबकि महाराष्ट्र में 26 सीएम हुए। यहां एक आता है, दूसरा उसे भगाने में लगा रहता है।
बॉलीवुड पर भी डाले डोरे
मोदी ने कहा, 'यह फिल्म इंडस्ट्री की शताब्दी का वर्ष है। केंद्र सरकार ने बॉलीवुड को प्रमोट करने के लिए कुछ नहीं किया। केंद्र ने इस अहम मौके को खो दिया। देश में एक फिल्म यूनिवर्सिटी बनाए जाने की वकालत की।