Kejriwal has decided to withdraw permission for FDI in retail for big international retailers. This is in line with his election campaign where he had said that he and his Aam Aadmi Party differ on the issue with Congress-led UPA government at the Centre.
नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल ने अपने घोषणा पत्र में किये एक और वादे को पूरा करते हुए पिछली सरकार के रिटेल में FDI की मंज़ूरी को रद्द कर दिया है। चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि वो केंद्र के रिटेल में FDI के फ़ैसले से सहमत नहीं हैं।
साल 2012 में डॉ. मनमोहन सिंह ने विपक्ष और उनके कुछ सहयोगियों के विरोध के बावजूद रिटेल में एफडीआई को मंज़ूरी दी थी। इस मुद्दे पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था जिससे यूपीए की सरकार अल्पमत में चली गई थी।
बाज़ार के समीक्षकों का मानना है कि विदेशी खिलाड़ी 450 बिलियन डॉलर के रिटेल सेक्टर में घुसेंगे तो लाखों छोटे दुकानदारों की रोज़ी-रोटी छिन जाएगी। केंद्रीय सरकार ने कहा था कि इस क़दम से जिस देश में एक तिहाई फल और सब्ज़ियां सड़ जाती हैं या ख़राब हो जाती हैं वो बर्बादी बचेगी और देश में महंगाई कम होगी।
केंद्र ने राज्य सरकारों को अधिकार दिया हुआ कि वो चाहे तो अपने राज्य में इसे लागू करे या न करे। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने राजधानी में रिटेल में FDI को मंज़ूरी दी थी जिसे अरविंद केजरीवाल की सरकार ने वापस ले लिया।
अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय राजस्व और उद्योग मंत्रालय को लिखा है कि उनकी सरकार राजधानी में रिटेल सेक्टर में लिबरलाइज़ेशन के साथ नहीं है।