नई दिल्ली। दिल्ली में एक ओर केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की कोशिशों के दावे कर रही है दूसरी ओर सरकार ऑटो वालों को ढील देती नज़र...
नई दिल्ली। दिल्ली में एक ओर केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की कोशिशों के दावे कर रही है दूसरी ओर सरकार ऑटो वालों को ढील देती नज़र आ रही है। दिल्ली सरकार ने ऑटो वालों पर नज़र रखने का जिम्मा अब दिल्ली ट्रैफिक पुलिस से हटाकर दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग को दे दिया है।
ट्रांसपोर्ट विभाग कमिश्नर हटाए गए
बताया जा रहा है कि ऑटो वालों की ज़िम्मेदारी लेने के लिए पहले दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने ट्रांसपोर्ट विभाग के कमिश्नर अरविंद रे से बात की थी। लेकिन उन्होंने मैनपावर कम होने का हवाला देते हुए ये जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया, जिसके बाद रे को उनके पद से हटाकर ये ज़िम्मा ज्ञानेश भारती को दिया गया है।
क्या वोट बैंक की राजनीति?
माना जाता है कि ऑटो वाले ने पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी की समर्थन किया था। और केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद वो सीएनजी के दाम कम करने से लेकर अपनी कई मांगों को लेकर उनसे मिले भी थे। तब केजरीवाल ने उनको एक्शन लेने का आश्वासन भी दिया था। आरोप है कि अपने वोट बैंक को बरकरार रखने के लिए केजरीवाल सरकार की ओर से ये मेहरबानी की गई है।
क्या नहीं बढ़ेगी मनमानी?
दिल्ली में अधिकांश ऑटो चालक मीटर से नहीं चलते, लोगों के साथ उनकी मनमानी और बदसलूकी की कई घटनाएं पिछले दिनों चर्चा में रही थीं। तब दिल्ली की शीला सरकार ने उनके खिलाफ कुछ कड़े कदम उठाए थे। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने पिछले साल करीब 2 लाख ऑटो वालों के चालान काटे थे। सवाल ये है कि केजरीवाल सरकार की इस ढील से क्या इनकी मनमानी और नहीं बढ़ जाएगी। आखिर क्या चाहते हैं केजरीवाल?