लखनऊ। कड़ाके की ठंड में सर पर सिर्फ टेंट का साया और नीचे शिक्षामित्रों के बुलंद हौसले के साथ कभी शॉल में दुबकती, आवाज बुलंद करती और दूसर...
लखनऊ। कड़ाके की ठंड में सर पर सिर्फ टेंट का साया और नीचे शिक्षामित्रों के बुलंद हौसले के साथ कभी शॉल में दुबकती, आवाज बुलंद करती और दूसरे पल ही अपने मासूम का खयाल आते ही उसे ठंड से बचाने की जुगत करती। इस हाड़ हिला देनेवाली ठण्ड में अपनी माँ के सिने से लगता तो कभी पिता की गोद में बैठता हुआ बच्चा आने जाने वालों को टकटकी भरी निगाह से देखते हुए शायद यही सोचता कि काश उसकी दूर्दशा को सरकार भी देख सकती।
जी हां कुछ यही नजारा रहा शनिवार को शिक्षा मित्रों के धरनास्थल पर। लक्ष्मण मेला मैदान में 12 दिनों से डटे शिक्षा मित्रों का परिवार भी शनिवार को उसमें शामिल होने लगा। एक शिक्षा मित्र से पूछने पर कि आप अपने बच्चे को क्यों लाईं तो तपाक से बोल पड़ीं-पिछले दस दिन से धरने पर बैठी हूं। बच्चा जिद्द किया तो आज पति लेकर आ गए। 3200 रुपये मिलते हैं, इसमें गुजारा कैसे होगा, सरकार करोड़ों करोड़ नाच गानो पर खर्च कर रही है और हमारी समस्याओं से मुंह मोड़ रही है।
प्रतापगढ़ की रमा सब से परेशान दिखी उनके चार व छह साल के दो बच्चे भी धरने पर मां के साथ हैं। वह कभी एक को संभालती तो कभी दूसरे को। कामोबेश यही हाल पीलीभीत और इलाहाबाद से आई शिक्षामित्रों का भी रहा। सरकार को धमकाते हुए कहते है कि सरकार मानेगी क्यों नहीं अभी तो बच्चे आये हैं ना माने सरकार तो पूरा कुनबा धरने पर बैठेगा।
आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में जुटे प्रदेश भर के शिक्षा मित्रों के साथ उनके नौनिहाल यूं ही कड़ाके की सर्दी से दो-चार हो रहे हैं। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का ऐलान कर दिया। शाही ने कहा कि सरकार शिक्षा मित्र को बिना टीईटी के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में समायोजन की शर्त मानने को तैयार नहीं है। वह कहते है कि, सरकार की संवेदना कहां चली गई है 12 दिन से लगातार शिक्षा मित्र अपनी मांग को लेकर नदी किनारे छोटे-छोटे बच्चों को लेकर रात-दिन प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रतापगढ़ से आई प्रांतीय सचिव रीना सिंह कहती हैं कि बच्चों के साथ धरने पर बैठने को तो सरकार ने ही मजबूर किया। 32 सौ रुपये के मानदेय में अब शिक्षा मित्र काम नहीं करेगा। सरकार जब तक बिना टीईटी के समायोजन की मांग को मानते हुए शासनादेश जारी कर नहीं करती, हम मानने वाले नहीं। प्रदेश महामंत्री विश्वनाथ सिंह कुशवाहा का कहना है कि सरकार को मासूमों पर तो तरस आना चाहिए। अभी तक शिक्षा मित्रों के आधा दर्जन साथी ठंड में बीमार होकर अस्पताल व क्लिनिकों में इलाज करा रहे हैं। कई और महिला व पुरुष शिक्षा मित्र खांसी-जुकाम व जकड़न से परेशान हैं। कई बुखार से पीड़ित हैं। शिक्षा मित्रों का कहना है कि इसके बावजूद उन्हें चिकित्सीय सहायता तक नहीं मिल रही है।