who will be the new cm of uttarakhand
नई दिल्ली। अब ऐसा लग रहा है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की विदाई लगभग तय हो चुकी है। खबर है कि केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद को जल्द ही पर्यवेक्षक के तौर पर देहरादून भेजा जाएगा। माना जा रहा है कि उत्तराखंड प्रभारी और महासचिव अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद, जनार्दन द्विवेदी, अहमद पटेल के साथ बुधवार को हुई बैठक में हाईकमान ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को बदलने का मन बना लिया है। अब देखना ये है कि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हरीश रावत, इंदिरा हृदयेश, प्रीतम सिंह और हरक सिंह रावत में से कौन जीतता है।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की खबर से बहुगुणा कैंप हिल गया है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के खेमे के विधायक उनकी कुर्सी बचाने की होड़ में जुट गए है। पहले भी नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच चर्चा हो रही थी कि उत्तराखंड में धड़ों में बंटी कांग्रेस में बहुगुणा कैंप दबदबा दिखाने की कोशिश में है। कहा जा रहा था कि 22 विधायक बहुगुणा को मुख्यमंत्री बने रहने देने के पक्ष में हैं। इतना ही नहीं इनकी सूची हाईकमान को भी सौंपी गई थी। बताया गया था कि इनमें खुद मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हरक सिंह भी शामिल थे। इसके अलावा सतपाल महाराज कैंप के विधायक भी थे। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में काम न होने की सरकार की विफलता इसमें सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है।
दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उत्तराखंड प्रभारी और महासचिव अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद, जनार्दन द्विवेदी, अहमद पटेल की बैठक में हरीश रावत का नाम सबसे आगे होने की बात उठ रही है। दूसरी ओर बदलाव की बयार के बीच हरीश रावत कैंप पहले से ही शक्ति प्रदर्शन के मूड में दिखाई दे रहा था। इतना ही नहीं हरीश रावत समर्थक विधायकों ने दिल्ली में रावत के आवास पर ही डेरा जमा लिया था। हालांकि हरीश समर्थक विधायक ज्यादातर समय शांत ही रहे। इनकी अति सक्रियता पर खुद हरीश रावत ने अंकुश लगाया था। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत शुरु से ही बहुगुणा सरकार की शासन प्रणाली पर सवाल उठाते आए हैं। बसपा वैसे तो पीडीएफ के साथ ही लेकिन वह कैबिनेट मंत्री हरीश रावत के साथ जाने को तैयार नहीं है।
दरअसल, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हाल में महिला मुख्यमंत्री बनाने की बात कह चुके हैं। ऐसे में इंदिरा हृदयेश की दावेदारी भी प्रबल मानी जा रही है। माना जा रहा है कि यदि रावत को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गढ़वाल क्षेत्र के ब्राह्मण नेता को मिलेगी। इधर, राहुल गांधी की रणनीति के तहत राजस्थान व मध्यप्रदेश की तरह उत्तराखंड को भी युवा प्रदेश अध्यक्ष मिलने की प्रबल संभावना जताई जा रही है। इस दौड़ में किशोर उपाध्याय, प्रकाश जोशी, नवप्रभात, सुबोध उनियाल, अनसूइया प्रसाद मैखुरी, गणेश गोदियाल आदि का नाम लिया जा रहा है। बहुगुणा कैंप पीडीएफ को अपना सबसे बड़ा अस्त्र मान रहा है, पर सतपाल महाराज और इंदिरा हृदयेश के बीच में आने से पीडीएफ में दरार पड़ने की संभावना है। निर्दलीय विधायक हरीश दुर्गापाल कैबिनेट मंत्री इंदिरा हृदयेश के नजदीकी हैं।