congress rope in nielsen to choose best possible candidates
नई दिल्ली। चुनावों में जीतने वाले उम्मीदवारों को चुनने के लिए कांग्रेस कांग्रेस ने मार्केट रिसर्च एजेंसी नील्सन इंडिया के साथ अनुबंध किया है, जिसके तहत वह पार्टी को ऐसे उम्मीदवार बताएगी, जो आगामी लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने की काफी संभावनाएं रखते हैं। इस तरह की प्रक्रिया कांग्रेस ने पहली बार अपनाई है और यह कुछ महीने पहले शुरू हुई है। जो कोर टीम कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सलाह दे रही है, उसे ही यह काम दिया गया है। अब एजेंसी को पार्टी की तरफ से कम से कम दो संभावित उम्मीदवार के नाम मुहैया करा रही है। इसके अलावा मौजूदा सांसद का नाम भी बढ़ाया गया है। यह कोशिश लोकसभा की सभी 543 सीटों पर की जा रही है। एचटी की खबर के मुताबिक कांग्रेस के एक नेता ने बताया, "हम चुनावों में जीत दर्ज करने की सबसे ज्यादा संभावनाएं रखने वाले नेताओं तक पहुंचने के लिए चुनाव विज्ञान का इस्तेमाल कर रहे हैं।"
करीब 15 लोकसभा क्षेत्रों पर खास ध्यान दिया जा रहा है, जहां राहुल गांधी उम्मीदवार चुनने के लिए अमेरिकी स्टाइल वाली प्राइमरी इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं। कांग्रेस और नील्सन के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि कर दी है। इस प्रयोग में ब्लॉक और जिला स्तर के पार्टी कार्यकर्ता हर क्षेत्र में पार्टी उम्मीदवार चुनने के लिए वोट डालेंगे। उन्होंने कहा, "नील्सन इस बात की पड़ताल कर रही है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पसंद मेल खाती है या नहीं।" गुजरात से राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश में पार्टी की कमान संभाल रहे मधुसूदन मिस्त्री ने नील्सन पर सीधे सवाल का जवाब नहीं दिया, लेकिन यह जरूर कहा, "हमारा आकलन कहता है कि वोटर नए चेहरे चाहते हैं, लेकिन आखिरकार जीतने की संभावना सबसे अहम हैं।" नील्सन के प्रवक्ता ने भी इस प्रकिया से इनकार नहीं किया है। उन्होंने कहा, "हम टिप्पणी नहीं कर सकते, क्योंकि टीम ट्रैवल कर रही है।" बाद में उन्होंने कहा, "हम बाजार के कयासों पर बयान नहीं देते।"
आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती, क्योंकि पार्टी और सरकार को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना है। वो उम्मीद कर रही है कि नील्सन की प्रक्रिया से उसे बढ़िया उम्मीदवार चुनने में मदद मिलेगी। हालांकि, अपने उपभोक्ता को जानिए की तर्ज पर शुरू की गई अपने नेता को जानिए रणनीति की वजह से पार्टी के लिए बड़ी चुनौतियां भी खड़ी हो गई हैं। खास तौर से उन नेताओं के मामले में जो भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही हैं। इनमें पुणे से सुरेश कलमाड़ी, नांदेड़ से अशोक चव्हाण और चंडीगढ़ से पवन बंसल शामिल हैं, जिनके जीतने की काफी संभावनाएं बताई जा रही हैं। एक नेता ने कहा, "इसकी वजह से मुश्किल खड़ी हो गई है।"
अगर पार्टी जीतने के सिद्धांत पर अमल करती है और इन नेताओं पर दांव लगाती है, तो वह राजनीतिक विरोधियों की तरफ से आलोचना के घेरे में आ सकती है। खास तौर से आम आदमी पार्टी इसका फायदा उठा सकती है। आम आदमी पार्टी पुणे से अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, जहां से कलमाड़ी पहले मैदान में थे और अब अपनी पत्नी के लिए टिकट हासिल करने की कोशिश में हैं। इसी तरह चव्हाण आदर्श हाउसिंग घोटाले में फंसे हैं और बंसल रेलगेट स्कैंडल में आलोचना झेल चुके हैं।
कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह का कहना है, "मेरा व्यक्तिगत मत है कि जिसे दोषी नहीं ठहराया गया है, वो दागदार नहीं है। पार्टी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष इसे लेकर काफी संवेदनशील हैं और मानते हैं कि जो चार्जशीट वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं दी जानी चाहिए।" कांग्रेस में भीतर यह कहा जा रहा है कि जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उन्हें टिकट नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन दूसरे नेताओं के बारे में पार्टी नेता ने कहा, "नील्सन का सर्वे काफी काम आएगा।"
गौरतलब हो कि विरोधी इस प्रक्रिया को ले कर बयानबाजी भी शुरू कर चुके हैं। इनका मानना है कि ये इस तरह की प्रक्रिया ये साबित कर रही है कि कांग्रेस कोई देश सेवा करने वाला राजनीतिक दल नहीं है, बल्कि इनके कार्य-कलाप बिलकुल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह काम कर रही है। अब इन्हे पार्टी का नाम कांग्रेस पार्टी से बदल कर कांग्रेस प्राइवेट लिमिटेड कर लेना चाहिए। दरअसल किसी राजनीतिक दल द्वारा उम्मीदवार चयन कर के लिए ऐसी प्रक्रिया पहली बार अपनायी जा रही है और अगर ये प्रक्रिया हिट हो जाएगी तो यही विरोध में बोलने वाले नेता और दल इसे अपनाना शुरू भी कर देंगे। लेकिन ये दिखना भी दिलचस्प होगा के कांग्रेस के खिलाफ बह रही हवा में ये प्रक्रिया पार्टी को कितना फायदा पहुंचाती है।
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