controversy on kejriwal's official bungalow
नई दिल्ली। बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के तिलक लेन पर मिले सरकारी बंगले को पद से इस्तीफा देने के बाद भी खाली न करने को लेकर विवाद बढ़ गया है। केजरीवाल ने 14 फरवरी को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था और नियम के मुताबिक, इसके 15 दिनों बाद यानी एक मार्च तक उन्हें तिलक लेन स्थित C-II/23 बंगले को खाली कर देना चाहिए था।
दिल्ली सचिवालय सूत्रों के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी ने उन्हें अभी तक घर खाली करने का नोटिस नहीं भेजा है। विभाग को डर है कि अगर केजरीवाल की पार्टी फिर सत्ता में आई तो वह संबंधित ऑफिसरों के लिए परेशानी खड़ी करेगी। इस मामले में केजरीवाल की तरफ से भी पीडब्ल्यूडी को कोई सूचना नहीं दी गई है। हालांकि, ऐसे ही मामले में कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित और मंत्रियों को नोटिस मिल चुका है।
नियम के मुताबिक, पूर्व मंत्री अपने आधिकारिक निवास में मुफ्त में 15 दिनों तक रह सकते हैं। पद से इस्तीफा देने के बाद भी वह अधितकम छह महीने तक घर में रह सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें मार्केट रेट से कहीं ज्यादा किराया चुकाना होता है। केजरीवाल अगर इसी आवास में रहना चाहें तो 2.58 लाख प्रतिमाह किराया देना होगा।
विभाग ने हाल ही में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को तय वक्त से अधिक बंगले में रहने के लिए 3.25 लाख रुपये की रिकवरी का नोटिस भेजा है। इसके अलावा कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्रियों से भी मकान खाली कराने की प्रक्रिया विभाग ने शुरू कर दी है। पीडब्ल्यूडी ने कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्रियों अरविंदर सिंह लवली, हारुन यूसुफ और किरन वालिया को क्रमश: 6.5 लाख रुपये, 2.9 लाख रुपये और 5.8 लाख रुपये की रिकवरी का नोटिस भेजा है।
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