Jaswant Singh expelled from BJP
नई दिल्ली। जसवंत सिंह को आखिरकार बीजेपी से निकाल ही दिया गया। 76 साल के जसवंत अपने जीवन का आखिरी चुनाव पैतृक स्थान से लड़ना चाहते थे लेकिन उनकी इस भावना की अनदेखी करते हुए कांग्रेस से बीजेपी में आए सोनाराम चौधरी को पार्टी ने उम्मीदवार बना दिया, इससे आहत जसवंत बतौर निदर्लीय उम्मीदवार मैदान में कूद पड़े।
बीजेपी को उम्मीद थी कि जसवंत नाम वापसी के आखिरी दिन तक अपना नामांकन वापस ले लेंगे, जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया गया।

जसवंत का राजनीतिक सफर
जनसंघ के जमाने से ही अटल, आडवाणी के साथ पार्टी को खड़ा करने में अपना सब कुछ झोंक देने वाले जसवंत सिंह 1960 में सेना में मेजर के पद से इस्तीफा देकर सियासत के मैदान में कूदे थे। 1980 में बतौर राज्यसभा सांसद उनका संसदीय राजनीति का सफर शुरू हुआ। 1990 से 2009 तक वो 4 बार लोकसभा के सांसद चुने गए। 1996 की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वो वित्त मंत्री बने। 1998 से 2004 के दौरान एनडीए की सरकार में उन्हें विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री बनने का मौका मिला। 2001 में वो सर्वश्रेष्ठ सांसद बने। 2004 से 2009 तक वो राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे। 2009 में वो दार्जिलिंग से लोकसभा के सांसद चुने गए।
पहले भी पार्टी से निकाले गए
अपनी किताब जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडिपेंडेंस में पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना की तारीफ के लिए जसवंत सिंह को 19 अगस्त 2009 को बीजेपी से निकाल दिया गया था। 2010 में एक बार फिर उनकी पार्टी में एंट्री हुई। 2012 में वो एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने थे, हालांकि हामिद अंसारी से वो हार गए थे और अब एक बार फिर बीजेपी ने जसवंत सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया है...