बेथहेलम। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को फिर से व्यक्त करने के उद्देश्य से पश्चिम एशियाई क्षेत्...
बेथहेलम। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को फिर से व्यक्त करने के उद्देश्य से पश्चिम एशियाई क्षेत्र की अपनी पहली यात्रा शुरू की। इसी क्रम में उन्होंने अपने फलस्तीनी समकक्ष से बातचीत की। विदेश मंत्री ने बेथहेलम में जीसस क्राइस्ट की जन्मस्थली के दर्शन किये और वहां मत्था टेका।
फलस्तीन के एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री माजेन शामियेह ने बितुनिया चौकी पर सुषमा की आगवानी की। सुषमा इजराइल के रास्ते फलस्तीनी इलाके में आईं। वहां पहुंचने के फौरन बाद उन्होंने अपने समकक्ष रियाद अल-मलिकी से मुलाकात की। सुषमा ने यहां महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
फलस्तीनी के विदेश मंत्रालय के मीडिया विभाग के प्रमुख डॉ. वाएल अल-बत्तरेखी ने कहा, 'भारतीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि फलस्तीन के मुद्दे पर भारत का रुख बदला नहीं है और हमारे मंत्री ने दोनों पक्षों के बीच मजबूत होते संबंधों पर संतोष व्यक्त किया.' फलस्तीनियों ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र के एक फोरम पर भारत के वोट पर हैरानी जताई थी, लेकिन बाद में कहा था कि वे भारत की सैद्धांतिक स्थिति को समझते हैं.
भारत पिछले साल पहली बार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्थान में अपनाए गए फलस्तीन के एक प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा था, जिसमें गाजा में 2014 के संघर्ष में शामिल पक्षों द्वारा जवाबदेही की वकालत की गई है. हालांकि भारत का कहना था कि फलस्तीनी हितों को समर्थन देने की भारत की दीर्घकालिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
भारत के प्रयासों का आभार जताया
बत्तरेखी ने कहा, 'हालांकि विदेश मंत्रियों की बैठक में ऐसा कोई मुद्दा नहीं उठा.' अल-मलिकी ने भी फलस्तीन में क्षमता निर्माण प्रक्रिया को बढ़ाने के भारत के सतत प्रयासों के लिए आभार जताया. भारत फलस्तीन के लोगों का जीवनस्तर सुधारने के लिए वहां कई परियोजनाएं चला रहा है और फलस्तीन के छात्रों को छात्रवृत्ति देकर तथा स्कूल बनाकर क्षमता निर्माण में सक्रिय है.
फलस्तीन की यात्रा समाप्त करने के बाद सुषमा स्वराज दो दिनों की यात्रा पर फिर इजराइल चली जाएंगी. इस दौरान वह दोनों देशों के बीच सहयोग के क्षेत्रों पर समीक्षा करने के लिए इजराइल के शीर्ष नेतृत्व के साथ चर्चा करेंगी. वह इजराइल के राष्ट्रपति रेवेन रिवलिन, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू से भी मिलेंगी. नेतनयाहू के पास विदेश मंत्रालय का प्रभार भी है. सुषमा का इजराइल के रक्षा मंत्री मोशे यालो से मिलने का भी कार्यक्रम है.