सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों में चलने वाले चीनी उद्योगों के लिए कड़े पर्यावरण मानकों को अधिसूचित किया है। इन मानकों का प्रमुख उद्देश्य पानी के प्रदूषण को कम से कम करना है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 14 जनवरी, 2016 को गजट में इन मानकों को अधिसूचित किया है।
नई दिल्ली। सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों में चलने वाले चीनी उद्योगों के लिए कड़े पर्यावरण मानकों को अधिसूचित किया है। इन मानकों का प्रमुख उद्देश्य पानी के प्रदूषण को कम से कम करना है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 14 जनवरी, 2016 को गजट में इन मानकों को अधिसूचित किया है।
गंदे पानी संबंधी मानकों को और कड़ा किया गया है। पहले इसकी सीमा “400 लीटर प्रतिटन गन्ने की पेराई” थी, जिसे अब “200 लीटर प्रतिटन गन्ने की पेराई” कर दी गई है। इससे अब पानी की खपत कम हो जाएगी। उत्सर्जित होने वाले पानी के उपचार की सीमा को प्रतिटन गन्ने की पेराई के मद्देनजर 100 लीटर तक सीमित कर दिया गया है। इसी प्रकार प्रतिटन गन्ने की पेराई के सम्बंध में स्प्रे-पॉण्ड ओवरफ्लो या कूलिंग टॉवर ब्लो को भी 100 लीटर तक सीमित कर दिया गया है। इकाइयों से निकलने वाले पानी के लिए केवल एक ही निकासी की अनुमति दी गई है ताकि संचालन कुशलता को प्रोत्साहन दिया जा सके और पानी को दोबारा इस्तेमाल करने लायक बनाया जा सके। इसके अलावा केवल एक ही निकासी की अनुमति दी जाएगी, जिसकी 24 घंटे ऑनलाइन निगरानी होगी।
उत्सर्जन की निगरानी करने के लिए जो मानक तय किए गए हैं, उनमें छह बिन्दु शामिल हैं:- पीएच, बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड, कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड, टोटल सस्पेंडड सॉलिड, टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड और ऑयल तथा ग्रीस। इसके पहले अधिसूचित मानकों में केवल बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड तथा सस्पेंडड सॉलिड शामिल थे। उत्सर्जन की सामान्य सीमा को घन मीटर प्रति 150 मिलीग्राम तक सीमित कर दिया गया है।
अधिसूचित मानकों में 'उपचारित जल प्रवाह' और 'अपशिष्ट जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन' के लिए प्रोटोकॉल भी मौजूद हैं, जबकि प्रतिदिन प्रतिहेक्टेयर घनमीटर के हिसाब से उपचारित जल प्रवाह को विभिन्न मृदा संरचना के संबंध में उल्लिखित किया गया है। 'अपशिष्ट जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन यह अधिकार देता है कि एकल इकाइयां पानी को ठंडा रखने की व्यवस्था करेंगी जिसके लिए पानी की रिसाइकलिंग के लिए समुचित टंकियां बनायी जाएंगी। गन्ना पेराई का समय आने के एक माह पहले अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र दुरस्त कर लिए जाएंगे और गन्ना पेराई का मौसम समाप्त होने के एक महीने बाद तक कार्यशील रहेंगे। यह नियम उद्योगों के लिए अनिवार्य है ताकि वे सभी जल निकासी स्थानों पर पानी के प्रवाह को जानने के लिए मीटर लगा सकें जिससे ताजे पानी का इस्तेमाल कम से कम हो सके। इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों को यह अनुमति भी दी गई है कि वे उचार किए हुए पानी को टंकियों में जमा करें और उसका भंडारण 15 दिनों तक हो सके।
संशोधित मानकों से चीनी उद्योगों के कामकाज में सुधार होगा, जिसके लिए वे अपशिष्ट जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन नियमों के जरिए गंदे पानी के उत्सर्जन को न्यूनतम कर सकेंगे। इससे सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों/प्रदूषण नियंत्रण समितियों को भी चीनी उद्योगों में विशेष उपायों को क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी। इसका उद्देश्य ताजे पानी की खपत को कम करना और संचालन गतिविधियों की जांच करना है।
संशोधित मानक अधिसूचना की तारीख से लागू होंगे। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उद्योगों, अन्य हितधारकों और आम लोगों से सलाह करने के बाद मानकों की सिफारिश की है।