भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अक्टूबर, 2015 को नई दिल्ली में अपने आवास पर नेताजी के परिवार के सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक में घोषणा की थी कि भारत सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करेगी और उन्हें जनता के लिए सुलभ बनाएगी।
नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अक्टूबर, 2015 को नई दिल्ली में अपने आवास पर नेताजी के परिवार के सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक में घोषणा की थी कि भारत सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करेगी और उन्हें जनता के लिए सुलभ बनाएगी।
उपर्युक्त घोषणा का अनुपालन करते हुए 33 फाइलों की पहली खेप प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा सार्वजनिक की गई थी और 4 दिसंबर, 2015 को भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंप दी गई थी।
इसके बाद गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने भी अपने पास मौजूद संबंधित संग्रह में शामिल नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी, जिन्हें बाद में भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार को स्थानांतरित कर दिया गया। कुछ और फाइलों को पीएमओ से भी स्थानांतरित कर दिया गया था।
इस दिशा में पहले कदम के रूप में भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार प्रारंभिक संरक्षण उपायों और डिजिटलीकरण के बाद नेताजी से संबंधित 100 फाइलों को सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध करा रहा है।
नेताजी की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री इन फाइलों की डिजिटल प्रतियां सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराएंगे। इससे इन फाइलों को सुलभ कराए जाने के लिए लंबे समय से चली आ रही जनता की मांग पूरी होगी। यही नहीं, इससे विद्वानों को नेताजी पर आगे और अनुसंधान करने में भी सुविधा होगी।
इतना ही नहीं, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार ने नेताजी पर 25 फाइलों की डिजिटल प्रतियों को हर महीने सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराने की योजना बनाई है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार को वर्ष 1997 में रक्षा मंत्रालय से इंडियन नेशनल आर्मी (आजाद हिंद फौज) से संबंधित 990 फाइलें प्राप्त हुई थीं और वर्ष 2012 में खोसला आयोग (271 फाइलें/आइटम) और न्यायमूर्ति मुखर्जी जांच आयोग (759 फाइलें/आइटम) से संबंधित कुल 1030 फाइलें/आइटम गृह मंत्रालय से प्राप्त हुए थे। ये सभी फाइलें/आइटम सार्वजनिक रिकॉर्ड नियम, 1997 के तहत जनता के लिए पहले से ही उपलब्ध हैं।