नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को विद्युत दर नीति में संशोधन करने संबंधी विद्यु...
संशोधनों के प्रमुख बिन्दु:
बिजलीः
· सभी उपभोक्ताओं और राज्य सरकारों को 24X7 आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी और विनियामक इसे प्राप्त करने के लिए बिजली आपूर्ति प्रक्षेपपथ (ट्रजेक्टरी) विकसित करेंगे।
· दूर-दराज के अलग-थलग गांवों को माइक्रो ग्रिड्स के माध्यम से बिजली मुहैया कराई जाएगी। साथ ही जब भी ग्रिड्स वहां पहुंचेंगे, उनके लिए बिजली खरीदने का प्रावधान किया जाएगा।
· कोल वाशरी रिजेक्ट आधारित संयंत्रों से बिजली की खरीद सक्षम बनाते हुए कोयला खदानों के समीप रहने वाले लोगों को किफायती बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।
दक्षताः
· मौजूदा बिजली संयंत्रों के विस्तार के जरिए उपभोक्ताओ के लिए बिजली की कीमत में कमी लाना।
· मांग रहित बिजली की बिक्री से होने वाले लाभ साझा किए जाएंगे, जिससे बिजली की समग्र लागत में कटौती होगी।
· प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के माध्यम से पारेषण परियोजनाएं विकसित की जाएंगी, ताकि उन्हें कम लागत पर तेजी से सम्पन्न किया जा सके।
· “टाईम ऑफ द डे” मीटरिंग, चोरी में कमी और नेट-मीटरिंग समर्थ बनाने के लिए स्मार्ट मीटर लगाने के काम में तेजी।
· देशभर में बिजली तक पहुंच बनाने के लिए पारेषण क्षमता विकसित करते हुए बिजली की लागत में कमी लाना।
पर्यावरण :
· नवीकरणीय ऊर्जा दायित्व (आरपीओ) : नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पनबिजली को छोड़ कुल विद्युत खपत का 8 फीसदी मार्च, 2022 तक सौर ऊर्जा से हासिल किया जाएगा।
· नवीकरणीय उत्पादन दायित्व (आरजीओ) : निर्धारित तिथि के बाद कोयला/लिग्नाइट आधारित नये ताप संयंत्र भी नवीकरणीय क्षमता स्थापित/हासिल/खरीदारी करेंगे।
· ऐसे संयंत्रों से प्राप्त विद्युत के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के एकत्रीकरण (बंडलिंग) के जरिये किफायती नवीकरणीय ऊर्जा, जिनके पीपीए की अवधि या तो समाप्त हो गई है अथवा जिनका उपयोगी जीवनकाल पूरा हो गया है।
· सौर एवं पवन ऊर्जा के लिए कोई अंतर-राज्य पारेषण प्रभार और नुकसान नहीं डाला जाएगा।
· कचरे से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्रों में उत्पादित शत-प्रतिशत बिजली की खरीदारी से स्वच्छ भारत मिशन को काफी बढ़ावा मिलेगा।
· शहरों के लिए स्वच्छ पेयजल जारी करने और गंगा जैसी नदियों का प्रदूषण कम करने के लिए सीवेज शोधन सुविधाओं के 50 किलोमीटर के दायरे में अवस्थित ताप संयंत्र शोधित सीवेज जल का इस्तेमाल करेंगे।
· दीर्घकालिक पीपीए और अगस्त, 2022 तक प्रतिस्पर्धी बोली से छूट के जरिये पनबिजली परियोजनाओं को बढ़ावा।
· सहायक सेवायें नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तारीकरण के लिए ग्रिड परिचालन में मददगार साबित होंगी।
कारोबार करने में सुगमता :
· निवेश को प्रोत्साहन के जरिये कोयला समृद्ध पूर्वी राज्यों जैसे कि ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ इत्यादि में रोजगार सृजन। नियंत्रित दर पर डिस्कॉम द्वारा 35 फीसदी तक बिजली की खरीदारी के साथ राज्यों को संयंत्र स्थापित करने की इजाजत दी गई।
· प्रतिस्पर्धी बोली वाली परियोजनाओं में घरेलू शुल्कों, लेवी, उपकर और करों में किसी भी बदलाव के असर के लिए निकासी की इजाजत देकर बाजार अनिश्चितता को समाप्त करना।
· बहु-राज्य बिक्री के लिए दर निर्धारित करने वाले प्राधिकरण पर स्पष्टता। केन्द्रीय नियामक ऐसी समग्र योजनाओं के लिए शुल्क दर का निर्धारण करेगा, जिनके तहत 10 फीसदी से ज्यादा बिजली राज्य के बाहर बेची जाती है।
इन संशोधनों से बिजली उपभोक्ताओं को अनेक तरीकों से लाभ पहुंचेगा। दक्षता के जरिये बिजली की लागत घटाते हुए ये संशोधन स्वच्छ पर्यावरण के साथ-साथ भारत की ऊर्जा सुरक्षा के संरक्षण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देंगे। ये संशोधन कचरे की ऊर्जा में तब्दीली और उत्पादन के लिए सीवेज जल के इस्तेमाल के लिए स्वच्छ भारत मिशन के साथ-साथ नमामि गंगे मिशन के उद्देश्यों को पाने में भी मददगार साबित होंगे और इस तरह ये संशोधन यह सुनिश्चित करेंगे कि पेयजल एवं सिंचाई के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध हो।
ये संशोधन उचित एवं प्रतिस्पर्धी दरों पर उपभोक्ताओं को बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे, इस क्षेत्र की वित्तीय लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए कारोबार में और सुगमता लाएंगे तथा निवेश आकर्षित करेंगे, पारदर्शिता को बढ़ावा देंगे एवं समस्त क्षेत्राधिकारों के नियामकीय रुख में निरंतरता एवं स्थिरता लाएंगे। यही नहीं, ये संशोधन प्रतिस्पर्धा का मार्ग प्रशस्त करेंगे, परिचालन में दक्षता सुनिश्चित करेंगे और विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता को बेहतर करेंगे। विद्युत दर (टैरिफ) नीति में ये समग्र संशोधन, जो ‘उदय’ जैसी योजनाओं की पूरक है, सभी को चौबीस घंटे किफायती बिजली सुलभ कराने संबंधी माननीय प्रधानमंत्री मोदी के सपने को साकार करना सुनिश्चित करेंगे।