Why snap buttons on jeans pocket
आजकल जींस नौजवानों के बीच सबसे लोकप्रिय पहनावा बन गया है. मजे कि बात ये है कि ये मर्दों और औरतों दोनों के बीच बिलकुल बराबरी में पोपुलर हो गया है. लेकिन जींस पहनने वाले अभी तक जींस कि कुछ तकनीकी बातों से अनभिज्ञ हैं. अब जैसे कल ही खबरज़ोन ने जींस के छोटे पॉकेट कि महत्ता बताई थी. अब क्या आपको पता है कि जींस की अगले पॉकेट पर छोटे छोटे बटन क्यूँ लगे होते हैं?
दरअसल आजतक हम इसे बस स्टाइल
स्टेटमेंट मान के चलते थे. लेकिन जींस में लगी हर छोटी बड़ी चीजों को हमारी उपयोगिता और ज़रूरत के हिसाब से इसमें डाला गया है. जब भी आप जींस के पॉकेट में लगे इन छोटे बटन को देखते होंगे तो आपके दिमाग में सवाल ज़रूर आता होगा कि इसकी उपयोगिता क्या है? दरअसल इसे 'स्नेप बटन' कहते हैं जिसका आविष्कार सन 1850 में 'लिवाइ स्ट्रास एंड कंपनी' के जैकब डेविस ने किया था. उस वक़्त जींस का उत्पादन शुरू नहीं हुआ था लेकिन इस बटन का उपयोग किसी और चीज़ के लिए इया जाता था. लेकिन जब 'लिवाइ स्ट्रास एंड कंपनी' ने सन 1873 में पहली जींस बनायीं तो इसका असल उपयोग शुरू किया गया.
अगर आप ध्यान से उस बटन वाली जगह को देखेंगे तो आपको खुद ही समझ आ जाएगा कि इस बटन को वहां क्यूँ लगाया जाता है. दरअसल जिस वक़्त जींस पहली बार बाज़ार में आयी थी उस समय जींस का फैब्रिक बहुत मजबूत और अच्छी खासी मोटाई के साथ होता था. क्यूंकि इसे माइंस में काम करने वालो लोगों के लिए बनाया गया था. इसलिए फैब्रिक की मजबूती का ख़ास ध्यान रखा गया था और जिस जगह पर ये बटन लगता है वहां ढेर सारे फैब्रिक या हम कह सकते हैं कि कपड़ों का एक समूह वहां जमा हो जाता है. जब इसके ऊपर सिलाई की गयी तो इन ढेर सारे कपड़ों के समूह के जमा रहने के कारण सिलाई टिक नहीं पाती थी और यहाँ से सिलाई टूट जाति थी. फिर इसका उपाय निकला गया और जैकब डेविस के आविष्कार को यहाँ उपयोग में लाया गया.
यहाँ एक बात और गौर करने वाली है कि जींस में लगे बटन सामान्यतः कॉपर के होते हैं. यहाँ कॉपर का चयन भी इसलिए ही किया गया था कि कॉपर बांकी सभी से सबसे ज्यादा मजबूत माना जाता है और ये जींस के उन सभी जगहों को जहाँ सिलाई टिक नहीं पाती है उसे मजबूती प्रदान करेगा. जिससे जींस सालों साल तक टिका रहेगा और हम इसे पहनते रहेंगे. लेकिन आज यही बटन जींस का स्टाइल स्टेटमेंट बन गया है.