Mumbai court last week sent a terror accused to a juvenile remand home, it underlined a disturbing trend for security agencies
लखनऊ। जब पिछले सप्ताह मुंबई कोर्ट ने एक आतंक के आरोपी को जुवेनाइल रिमांड घर भेज दिया तो यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का सबब बन गया क्योंकि जिस तरह से इस्लामिक स्टेट बच्चों और टीेनेजर्स को टारगेट कर रहा है, एजेंसियों के लिए जुवेनाइल को कोर्ट से छूट मिलना मुश्किल में डालता है।
इमरान (बदला हुआ नाम) के वकील ने दावा किया कि वह 16 साल का है। शायद यह आतंक से जुड़ने वाला देश का सबसे कम उम्र का शख़्स है। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर का रहने वाला यह आरोपी 12वीं का छात्र है। उसे 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस और मुंबई एटीएस ने गिरफ़्तार किया था।
इमरान के वकील ने उसकी कक्षा दस की मार्कशीट सेवरी के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश की, जिसके मुताबिक इमरान का जन्म मई 1999 में हुआ है। वहीं सुरक्षा एजेंसियों कुशीनगर की मतदाता सूची पेश करते हुए दावा किया कि वह 20 साल का है।
एजेंसियों के मुताबिर इमरान IS का रिक्रूटर है और महाराष्ट्र एटीएस का कहना है कि वह जिहादियों को ट्रेनिंग देने के लिए सेफहाउस और उनके छिपने की जगहों का बंदोबस्त करता था। उस पर आरोप है कि हवाला के ज़रिए मिली रकम से उसने मुंबई और गोवा में किराये पर घर लिये।
हैरानी और चिंता की बात ये है कि 26 जनवरी से ठीक पहले जिन 14 IS समर्थकों को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनआईए ने गिरफ़्तार किया, वह सभी 24 साल से कम उम्र के हैं। इनमें शामिल हैं लखनऊ से मोहम्मद अलीम (20) और बेंगलुरू से सुहेल अहमद (23)।
लगातार ख़बरों से अपडेट रहने के लिए खबरज़ोन फेसबुक पेज और ट्विटर पेज पर फॉलो करें