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"कहते हैं जिस अनुभव को सिर्फ महसूस किया जाए, या जिसे शब्दों से बयां न किया जा सके, वो एहसास होता है, और अगर एहसास की ये परिभाषा सही है, तो विराट कोहली तुम एक खूबसूरत एहसास हो"
बेंगलुरू : जुलाई 2012, विराट कोहली NCA में प्रैक्टिस कर रहे थे, उस वक्त मैंने उनसे एक सवाल किया, क्या 2011 विश्व कप जीतने के बाद सचिन तेंदुलकर के बारे में जो आपने कहा था, वो स्वाभाविक(Instinct) था, या आपने ऐसा पहले कभी सोचा था, उनका जवाब था, “वो स्वभाविक था” आज जिक्र उस बात का इसलिए, क्योंकि आज विराट कोहली की बल्लेबाजी उस स्वाभाविक्ता(Instinct) पर महुर लगाती है । खुद सचिन तेंदुलकर कहते थे “बल्लेबाजी तब सबसे खूबसूरत होती है, जब आप स्वभाविक हो जाएं” यानी गेंद को देखकर जब आप सिर्फ प्रतिक्रिया करें, और आज विराट कोहली को देखकर ठीक ऐसा ही लगता है । हैदराबाद के मैदान में कोहली ने फिर अपने आप को आज के दौर का सबसे बेहतर बल्लेबाज साबित किय़ा । वो लगातार अपने प्रदर्शन को टेस्ट क्रिकेट में भी निखार रहे हैं, और अपने स्तर को लगातार ऊंचा उठा रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे कि उन्होंने बीते सालों में रंगीन क्रिकेट में किया...
"With Great power comes Great responsibility" अंग्रेजी फिल्म स्पाइडरमैन का बहुत फेमस डायलॉग है, यानी बड़ी ताकतों के साथ बड़ी जिम्मेदारियां भी आती हैं, और इन जिम्मेदारियों के दबाव में अच्छे-अच्छे खिलाड़ी बिखर जाते हैं । लेकिन ऐसे खिलाड़ी कम ही मिलते हैं, जो बढ़ती जिम्मेदारियों के साथ निखरते हुए कामयाबियों की नई बुलंदियों को छुएं, और फिर उसे लगातर चुनौती देकर और आगे बढ़ाते रहे । चार सीरीज और बीती चार सीरीज में हर एक सीरीज में एक दोहरा शतक, जो काम न डॉन ब्रेडमेन कर पाए न राहुल द्राविड वो काम कोहली ने कर दिखाया ।
खैर आकड़ों की बात हर कोई कर रहा है, लेकिन मैं उन दो बातों को आपसे साझा करूंगा, जो विराट कोहली को सिर्फ आज के नहीं, बल्कि हर दौर के खिलाड़ी से अलग बनाती हैं, क्योंकि कोहली सिर्फ एक बेहतर कप्तान नहीं, बल्कि टीम में सबसे बेहतर बल्लेबाज के दायित्व को भी अच्छी तरह से समझते हैं, वो टीम के सबसे शानदार फिल्डरों में से एक हैं, और विरोधियों के साथ बात चाहे फिर कोल्ड वॉर कि ही क्यों न हो, कोहली इन मामलों में भी सबसे आगे रहते हैं, और इन सबके साथ फिटनेस के मामले में भी उनका कोई तोड़ नहीं है । तो फिर बात घूमकर उन्हीं दो बिंदुओं पर आती है, जो कोहली को बनाते हैं सबसे अलग, और ये दो बाते हैं महत्वाकांक्षा और चुनौतियां ( ambition & Challenges ) महत्वकांक्षा इसलिए क्योंकि हर प्रदर्शन के बाद उनमें कुछ और आगे बढ़ने, कुछ और बेहतर करने की चाह हमेशा जिंदा रहती है । वो इस टीम में सबसे महत्वकांक्षी खिलाड़ी हैं, इस बात में भी शायद ही किसी को कोई संदेह हो । जीत उनके लिए सबसे अहम है, फॉर्मेट चाहे जो भी हो। डिफेंसिव सोच कोहली की दिमागी डिक्शनरी में है ही नहीं, और खिलाड़ियों को कैसे प्रोत्साहित करना ये भी वो अच्छी तरह जानते हैं । अब हर नई महत्वाकांक्षा के साथ आती है नई-नई चुनौतियां, जिनका पहले से ज्यादा कठिन होना स्वभाविक है । तो कोहली लगातार हर चुनौती को भी सफलता के साथ पार करते रहे, और बढ़ती हुई चुनौतियों के साथ उनका प्रदर्शन कभी भी औसत दर्जे का नहीं रहा, उनका खेल कड़ी चुनौतियों के सामने और निखरकर सामने आया है, और ये कोहली का कमाल है ।
इस बात में कोई दोराय नहीं कि विराट कोहली इस वक्त अपने बीते करियर के सबसे शानदार दौर से गुजर रहे हैं, थकान का एक निशान भी उनकी 204 रन की पारी में नहीं दिखा, मानसिक तौर पर भी वो कभी बिखरते नजर नहीं आए, आपनी पारी के शुरूआती 65 रनों तक, उन्हें कोई भी बांग्लादेशी गेंदबाज बीट तक नहीं करा पाया, और उनका खेल हमेशा से सुलझा हुआ और जोखिम से मुक्त रहा । कुल मिलाकर एक ऐसे बल्लेबाज की यात्रा के गवाह हम सब बन रहे हैं जो महानता के उस रास्ते पर चल निकला है, जहां अगर वो यूहीं खेलता रहा तो आंकड़ों बहुत पीछे छूट जाएंगे ये तय़ है, और उस मंजिल पर पहुंचने वाला भी वो अकेला ही होगा ये भी तय मानिए
रोहित जुगलान
खेल संवाददाता