Public roads and places cannot be occupied indefinitely by protesters says Supreme Court on shaheen bagh
नागरिकता संशोधन कानून CAA के लागू होते ही देशभर में जमकर इसका विरोध किया गया था लेकिन इसका केंद्र दिल्ली का शाहीन बाग(Shaheen Bagh) था जो खबरों में खुब बना रहा। प्रदर्शनकारियों ने शाहीन बाग में इस कानून के विरोध में सड़क पर कब्जा जमा लिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने गलत ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए थी, जो उसने नहीं की, कोर्ट ने यह भी उम्मीद जताई है कि भविष्य में ऐसी स्थिति नहीं बनेगी।
प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क पर ही धरना दिया जा रहा था, जिस कारण इस सड़क से आने-जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि, विरोध प्रदर्शनों के लिए शाहीन बाग जैसे सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा करना स्वीकार्य नहीं है। शाहीन बाग इलाके से लोगों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी। इसके आगे अदालत ने कहा कि, सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल तक कब्जा नहीं किया जा सकता, जैसा कि शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुआ।
दिल्ली पुलिस ने मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट से प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की इजाजत मांगी थी, जिसपर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि, हमारा काम किसी कार्रवाई की वैधता तय करना है, प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए। इसके लिए हमारा सहारा नहीं लेना चाहिए। अगर इस मामले में कार्रवाई की गई होती तो याचिकाकर्ताओं को यहां आने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
गौरतलब हो कि, 14 दिसंबर से दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत हुई थी, जो करीब तीन महीने तक चला था। इस दौरान यातायात पर भारी असर पड़ा था, और लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस मसले को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को वरिष्ठ वकील संजय हेगडे और साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बातकर इस मुद्दे का समाधान निकालने की जिम्मेदारी दी थी, दोनों पक्षों के बीच काफी समय तक कई बार बात हुई लेकिन इसका निष्कर्ष नहीं निलक पाया।