Lucknow: Roads of Gulzar Colony of Chinhat broken, not hearing even on complaint.
लऊनऊ/ब्यूरो रिपोर्ट खबर जोन: गड्ढ़ा मुक्त सड़क को लेकर सरकार जहां बड़े बड़े दावे करने में जुटी है वहीं, राजधानी की सड़कों का हाल बेहाल है, लखनऊ के चिनहट तिराहे से चंद दूरी पर गुलजार कालोनी की सड़कें सालों से टूटी पड़़ी है, बारिश में जलभराव से लोगों का घर से निकलना दूभर हो जाता है। कालोनीवासियों ने हर स्तर पर शिकायत की पर उनकी समस्या का समाधान आज तक नहीं हो सका, पार्षद, नगर आयुक्त और मुख्यमंत्री पोर्टल में भी शिकायत की गई पर हालात वैसे के वैसे ही हैं, न सड़क बनी और न ही नालियां।
कालोनी में रह रहे इसराक अब्बासी ने बताया कि काफी कोशिश के बाद भी कोई काम नहीं हुआ है। अब्बासी बताते है कि मास्क यहां इस लिए भी जरुरी है कि यहां बहुत धूल उड़ती है जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। इसराक अब्बासी ने आगे बताया कि बारिश में तो घरों से निकला दूभर हो जाता है, जरासा पानी बरसता है तो भारी जलभराव हो जाता है।
नगर निगम कुछ भी ध्यान नहीं देता, पूरे क्षेत्र में डेंगू का प्रकोप है। इन लोगों ने फैसला किया है जब तक सड़क नहीं बनती तब तक सभी चुनावों का बहिष्कार करेंगे। कालोनी के फजल जमाल ने बताया कि पिछले 16 सालों से गुलजार कालोनी में रह रहा हूं, यहां पर कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ।
सबसे बड़ी समस्या तब होती है जब चिनहट तिराहे पर जाम लगता है तो सारे वाहन इधर से ही निकलते हैं जिससे पैदल चलने में बहुत कठिनाई होती है। पार्षद से शिकायत के बाद भी कभी सड़क नहीं बनी। सीनियर सिटिजन मोहम्मद वसीम खां ने बताया कि सालों से सड़क नहीं बनी जिसके कारण बहुत परेशानी होती है। पार्षद से कहा भी गया पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। बारिश में पानी भरने पर घूम कर जाना पड़ता है।
कालोनी के ही बुजुर्ग हसन ने बताया कि 4 सालों से कालोनी में रह रहा हूं, सड़क का निर्माण और मरम्मत कुछ भी नहीं हुआ है। हम लोगों को निकलने में बहुत परेशानी होती है, सीवर कनेक्शन भी नहीं हुआ है। सुमित राजन ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि कई बार प्रार्थना पत्र देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई, एक बार भारी वाहन ने उनके घर का पिलर तोड़ दिया था, अधिकारियों ने हमारी शिकायत को खारिज कर दिया था। टूटी सड़क और नालियां न होने के कारण गुलजार कालोनी के निवासियों का जीना दूभर है। नगर निगम टैक्स तो लेता है पर कोई सुविधा नहीं देता है। पार्षद भी कोई ध्यान नहीं देते हैं।