SC dismisses the appeal filed by UP Shiksha Mitra Association in connection with the case related to the recruitment of around 69000 Assistant teacher
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की 69,000 शिक्षा मित्र भर्ती (69000 Shikshak Bharti) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के मौजूदा कट ऑफ को सही बताया है। कोर्ट का कहना है कि कट ऑफ 60 से 65 ही रहेगा। शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि सभी शिक्षा मित्रों को एक मौका और मिलेगा और उसके तौर-तरीकों को राज्य सरकार तय करेगी। इस मामले में कोर्ट ने 24 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
यूपी सरकार ने पिछले साल 7 जनवरी को अधिसूचना जारी करते हुए आरक्षित और अनारक्षित श्रेणियों के लिए कट-ऑफ बढ़ाकर क्रमश: 65 और 60 कर दिया था। इसकी वजह से 32,629 शिक्षा मित्र अभ्यार्थी बाहर हो गए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कॉट-ऑफ बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराया था।
इसके बाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की अपील पर 9 जून 2020 को शिक्षक भर्ती केस में सुनवाई करते हुए 69,000 हजार पदों में से 37,339 पदों को होल्ड करने का आदेश दिया था।
यह था मामला
शिक्षामित्रों का कहना है कि जो भी योग्य शिक्षामित्र 45/40 से ज्यादा अंक हासिल करते हैं, उन्हे भारांक देकर नियुक्ति दी जाए, लेकिन सरकार ने 2019 की परीक्षा में कट-ऑफ अंक बढ़ाकर 65/60 कर दिए जिससे 32,629 शिक्षामित्र उम्मीदवार बाहर हो गए। दरअसल, भारांक देने की बात सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में की थी, जब प्रदेश में लाखों शिक्षा मित्रों की सहायक शिक्षक पद पर नियुक्ति को अवैध मानकर निरस्त किया गया था। कोर्ट ने कहा था कि भविष्य में होने वाली भर्ती में इन शिक्षा मित्रों के अनुभव को देखते हुए सरकार अतिरिक्त भारांक देने पर विचार कर सकती है।