no confidence motion for aap govt
लेकिन समर्थन का पत्र भेजते ही कांग्रेस के अंदर हंगामा शुरू हो गया। पार्टी के अंदर कुछ लोग समर्थन के पक्ष में हैं तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं। पहले तो कहा जाता था कि आलाकमान के फैसले के आगे कोई कुछ नहीं बोलेगा। लेकिन दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कार्यकर्ता ने जिस तरह से पार्टी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया वो पार्टी के अंतर्कलह को उजागर करती है बची खुची कसर जनार्दन द्वेदी जैसे नेताओं ने पूरी कर दी जो प्रेस में आ कर कह दिए कि "आप" को समर्थन देने का विरोध पार्टी के अंदर भी है।
अब कांग्रेस को समझ नहीं आ रहा है कि पार्टी के इस अंतर्विरोध से कैसे निपटा जाए। खबर जोन के सूत्रों के मुताविक कांग्रेस अब एक नयी चाल पर विचार कर रही है। ये नहीं चाल है बहुमत साबित करने वाले दिन कांग्रेस के तीन विधायकों से क्रॉस वोटिंग करवाना। वैसे इन बातों पर विश्वास नहीं किया जा रहा है। परन्तु सोचने वाली बात ये है कि अगर कांग्रेस "आप"को समर्थन दे रही है तो अपने विधायकों पर वोटिंग के लिए व्हिप जारी क्यूँ नहीं कर रही है।
यहाँ देखने वाली बात ये है कि अगर कांग्रेस के तीन विधायक ऐसा करते हैं तो बीजेपी के 32 विधायक, निर्दलीय विधायक मनोज शौकीन और कांग्रेस के तीन विधायक मिलकर 36 हो जाएंगे। जबकि आम आदमी पार्टी का एक विधायक अगर स्पीकर बन गया तो पार्टी के 27 कांग्रेस के 5 और जेडीयू के एक विधायक को मिलाकर आंकड़ा होता है 33 का। यानी सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। वैसे कांग्रेस ने ह्विप भी जारी नहीं किया है, इसलिए पार्टी क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों अनुशासनात्मक कार्रवाई भी नहीं कर सकती है।
एकतरफ "आप" कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ जांच बिठाने को अड़ी हुई है। इसलिए कांग्रेस के नेता भी समर्थन को ले कर अब शंकाग्रस्त हो गए हैं। कांग्रेस ने उपराज्यपाल को समर्थन की चिट्ठी भेज रखी है। इसलिए समर्थन वापसी का कोई सीन नहीं बन रहा और एक बार बहुमत साबित हो गया तो छह महीने तक समर्थन वापस लेने का चांस नहीं बनता। कांग्रेस का एक ध़ड़ा अभी की स्थिति में पार्टी की हालत बिहार और यूपी की तरह देख रहा है। ऐसे में सवाल ये कि कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं के गिरते मनोबल को संभालने के लिए सरकार को गिराने की कोई साजिश तो नहीं कर रही?