नई दिल्ली। यूपीए सरकार 13 संशोधनों के साथ लोकपाल बिल को राज्यसभा में पेश करने जा रही है। सरकारी लोकपाल पर इसका विरोध कर रही बीजेपी भी लगभग...
नई दिल्ली। यूपीए सरकार 13 संशोधनों के साथ लोकपाल बिल को राज्यसभा में पेश करने जा रही है। सरकारी लोकपाल पर इसका विरोध कर रही बीजेपी भी लगभग सहमत दिख
रही है बीजेपी ने तो यहां तक कहा कि वो शोरशराबे के बीच भी इस बिल को पास कराने के लिए तैयार है। लेकिन अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम लोकपाल को अभी भी जोकपाल ही करार दे रही है।
कौन- कौन से मुद्दे अलग
अरविंद केजरीवाल के मुताबिक जिन तीन मुद्दों पर सरकार की सहमति के बाद अन्ना हजारे ने 2011 में अपना अनशन तोड़ा था वो तीनों मुद्दे इस जोकपाल में नहीं हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है सी और डी श्रेणी के कर्मचारियों का लोकपाल के दायरे में न आना। क्योंकि सरकारी लोकपाल बिल के मुताबिक वो सीवीसी के दायरे में रहेंगे और अगर किसी की सीवीसी की जांच से कोई संतुष्ट नहीं होता तो वो लोकपाल के पास अपील कर सकता है।
दूसरी महत्वपूर्ण बात ये कि इसमें जांच के लिए कोई अलग एजेंसी बनाने का प्रावधान नहीं है। और सीबीआई ही जांच करेगी। टीम केजरीवाल का कहना है कि जिन लोगों के खिलाफ जांच होगी वो ही जांच करवाएंगे ये कैसे संभव है।
हालांकि कपिल सिब्बल ने कहा था कि सीबीआई भी लोकपाल के अंडर होगी।
ऐसे कई बातें हैं जो अन्ना और केजरीवाल के जनलोकपाल से अलग हैं और इन्हीं पर टीम केजरीवाल को आपत्ति है।
खाई में तब्दील होती दरार
सरकारी लोकपाल को अन्ना की सहमति पर अरविंद केजरीवाल ने आश्चर्य जताया है। उन्होंने कहा कि जिन बातों को लेकर इतनी लंबी लड़ाई लड़ी गई उन बातों पर अन्ना राजी कैसे हो गए। अरविंद ने कहा कि अन्ना को कुछ लोग बरगला रहे हैं और मीडिया इसका पता लगाए। उधर एक बार फिर अन्ना के साथ नजर आ रही किरण बेदी ने कहा आम आदमी पार्टी पर वार किया है उन्होंने कहा कि जो लोग इसे जोकपाल बता रहे हैं उन्होंने इसे अभी पढ़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि ये वो लोग हैं जो नहीं चाहते कि उनके बिना ये बिल पास हो। किरण बेदी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कुनार विश्वास ने कहा कि लोकपाल किरण बेदी का पेटेंट नहीं। विश्वास ने आम आदमी पार्टी की टीम को पांडव और अन्ना को भीष्म पितामह करार दिया। जिन्हें मजबूरन कौरवों का साथ देना पड़ रहा है।