जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया पर भी लगता है "आप" की छाप थोड़ी बहुत पड़ गयी है। असल में कल वाकया ही कुछ...
जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया पर भी लगता है "आप" की छाप थोड़ी बहुत पड़ गयी है। असल में कल वाकया ही कुछ ऐसा हुआ की जयपुर की जनता ने दांतों तले उगलियां दबा ली, क्यूंकि माजरा कुछ ऐसा था। मुख्यमंत्री कल शाम दिल्ली से लौट कर अपनी कार में सवार होकर सिविल लाइंस स्थित अपने सरकारी आवास जा रही थी। परन्तु जवाहर कला केन्द्र और गांधी नगर मोड़ पर लाल बत्ती होने पर आम राहगीरों के वाहनों की तरह मुख्यमंत्री की गाडी रुक कर हरी लाइट होने की प्रतीक्षा करने लगी। इनका काफिला सबसे अधिक करीब 1 मिनट तक गांधी नगर मोड़ पर रुका रहा। उसके बाद मुख्यमंत्री का काफिला यातायत नियमों का पूरी तरह से पालन करते हुए सर्किल का चक्कर लगाकर आगे बढ़ा।
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शपथ लेने के बाद ही कहा था कि उनके काफिले की वजह से यातायात व्यवस्था में कोई बदलाव न हो, क्योंकि इससे आम लोगों को परेशानी होती है। मुख्यमंत्री ने आम जनता का वक्त ख़राब नहीं करने के लिहाज से अपना काफिला भी छोटा किया है। काफिले के आगे चलने वाली वार्निंग और पीछे चलने वाली टेल कार भी हटवा दी गई है। सबसे आगे चलने वाली यातायात पुलिस की कार भी अब मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल नहीं है। पहले मुख्यमंत्री के काफिले के कारण शहर में 15 से 20 मिनट तक यातायात रोक लिया जाता था, लेकिन अब मुख्यमंत्री का काफिला यातायात के नियमों के अनुसार चल रहा है। इसलिए जनता में चर्चा शुरू हो गयी है कि कहीं ये आम आदमी पार्टी का असर तो नहीं है, जो हमेशा नेताओं, मंत्रियों और अफसरों के लाल बत्ती, बड़े काफिले और बंगलों का विरोध करती रहती है?