भारतीय टीम जब दक्षिण अफ्रिका के दौर पर पहुंची तो सब के ज़ह्न में बस एक ही सवाल था की कैसे ये टीम इंडिया विदेशी धरती पर सचिन के बिना टेस्...
भारतीय टीम जब दक्षिण अफ्रिका के दौर पर पहुंची तो सब के ज़ह्न में बस एक ही सवाल था की कैसे ये टीम इंडिया विदेशी धरती पर सचिन के बिना टेस्ट की अग्निपरीक्षा पास करेगी। कौन होगा वो जो सचिन की कमी को पुरा करे और इन तमाम सवालों का जवाब बस एक नाम से तलाथा जा रहा था वो थे विराट कोहली।
विराट कोहली ने भी उम्मीदों के बोझ को बखूबी उठाया और सचिन की जगह चौथे नंबर पर बल्लेबाज़ी करते हुए वांडर्रस के मैदान पर खुद को वंडर ब्वॉय साबित किया। विराट ने पहली पारी में शतक जमाया तो दूसरी पारी में 96 रन की धमाकेदार पारी खेली और टीम इंडिय़ा को एक बड़े स्कोर तक पहुंचा दिया।
वैसे विराट की तुलना सचिन से इसलिए भी की जारही है क्योंकी जिस धमाकेदार अंदाज़ में वो रन बना रहा हैं वो उन्हें सचिन की राह पर चलता दिखा रहा है।
विराट ने इस साल अबतक खेले 7 टेस्ट मैचों में 62.11 के औसत से 559 रन बनाए, जिसमें 2 शतक और 3 अर्धशतक शुमार रहे। 2012 में भी उन्होंने 3 सेंचुरी और उतनी ही हाफ सेंचुरी जड़ी थीं।
वनडे में उनका प्रदर्शन तो और भी लाजवाब रहा है । इस साल खेले 34 वनडे मैचों की 30 पारियों में उन्होंने 52.83 के औसत से 1268 रन बनाए। यह लगातार तीसरा साल था जब उन्होंने कैलेंडर ईयर में 1000 रनों का आंकड़ा पार किया। इस साल उन्होंने 4 शतक और 7 अर्धशतक लगाए। 1990 का वो एक दौर था जब सचिन तेंदुलकर रनमशीन बन कर उभरे थे और उनके बल्ले के कोहराम से हर गेंदबाज़ खौफ में था और उसी नक्शे कदम पर अब विराट भी दिख रहे हैं।
इतना ही नहीं विराट कोहली ने विदेशी ज़मीं पर रनों की बारिश कर के ये भी जता दिया की उनका बल्ला किसीभी पिच और मैदान पर रन बनाने का माद्दा रखता है। भले ही दक्षिण अफ्रिका पहुंचते ही दो वन डे में उनके बल्ले से कमाल देखने को न मिला हो लेकिन टेस्ट की टेस्ट में पहली पारी में शतक और दूसरी पारी में नाइनटीज़ का स्कोर खड़ा करना वो भी तब जब वो पिच बल्लेबाज़ों के लिए कब्रगाह के तौर पर देखा जा रहा था वाकई विराट को ये खास बनाता है।वे शतक से चूके जरूर, लेकिन उन्होंने सचिन तेंडुलकर को पीछे छोड़ दिया।
एक टेस्ट मैच में सेंचुरी और नाइंटीज का स्कोर बनाने वाले वे महज पांचवें भारतीय रहे। सचिन तेंडुलकर अपने करियर में कभी यह कारनामा नहीं कर सके। सबसे पहले चंदू बोर्डे ने 1959 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ दिल्ली टेस्ट में 109 और 96 रन की पारियां खेली थीं।
उनके बाद मोहिंदर अमरनाथ ने 16 दिसंबर 1977 को हुए पर्थ टेस्ट में 90 और 100 रन के स्कोर बनाए। पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने बेंगलुरु में पाकिस्तान के विरुद्ध 8 दिसंबर 2007 को हुए मैच में 239 और 91 रन बनाए। गौतम गंभीर ने 19 दिसंबर 2008 को मोहाली में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में 179 और 97 रन की पारियां खेलीं।
विदेशी पिचों पर यह कारनाम करने वाले वे महज दूसरे इंडियन बने।
साल 2012 में विराट कोहली ने 8 इंटरनेशनल शतक लगाए थे। उन्होंने महज पांच साल में इस स्पेशल रिकॉर्डबुक में खुद को दर्ज करवा लिया। मास्टर ब्लास्टर को एक कैलेंडर ईयर में सर्वाधिक सेंचुरी लगाने का पहला रिकॉर्ड बनाने में 6 साल से ज्यादा का समय लगा था। 1989 में करियर का आगाज करने वाले सचिन ने पहली बार 1996 में 8 शतक लगाए थे। हालांकि, 1998 में 12 सेंचुरी लगा कर उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, लेकिन विराट कोहली ने उनसे कम समय में इस रिकॉर्ड की शुरुआत कर यह जरूर साबित कर दिया कि वे सचिन तेंडुलकर जैसा दम रखते हैं।
ये तमाम रिकॉर्डस ये बताने के लिए काफी है की विराट के अंदर किस कदर रनों की भूख है वो वही भूख है जो सचिन में देखने को मिलती थी और शायद यही आने वाले वक्त में विराट को क्रिकेट का दूसरा सचिन बना दे।