नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कैग को प्राइवेट दूरसंचार कंपिनियों का ऑडिट करने की हरी झंडी दे दी है। जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस ए के...
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कैग को प्राइवेट दूरसंचार कंपिनियों का ऑडिट करने की हरी झंडी दे दी है। जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस ए के राव की बेंच ने पिछले नवंबर में अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा था।
हाल ही में अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने बिजली कंपनियों का ऑडिट करने के लिए कैग को ज़िम्मेदारी दी है। माना जा रहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट का ये फ़ैसला बिजली कंपनियों के लिए भी एक झटका है जो केजरीवाल सरकार के फ़ैसले पर उंगली उठा रही थीं।
Cellular Operators Association of India (COAI) और Association of Unified Telecom Service Providers (AUSPI) ने दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार और कैग के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी और कहा था कि वो कैग के दायरे में नहीं आते, इस पर मैराथन बहस हुई जिसमें कैग ने तर्क रखा कि भारत के संविधान और कैग एक्ट 1971 के तहत कैग की ये ज़िम्मेदारी है कि वो उन खातों का ऑडिट करें जो केंद्र और जिनका केंद्र के खातों से लेना-देना है।
कैग ने कहा कि उसे पूरा हक़ है कि वो टेलिकॉम कंपनियों कंपनियों के खातों की जांच करे ताकि ये तय किया जा सके कि केंद्र से मिले पैसों का उन्होंने सही इस्तेमाल किया और उनकी अक्षमता और फ्रॉड की वजह से कोई नुकसान नहीं हुआ।
जून 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में टेलीकॉम कंपनियों को अपने खाते का विवरण कैग को देने को कहा था, जिससे कैग ये पता लगा सके कि कंपनियों पर लगनेवाले लाइसेंस फीस में कोई गड़बड़ी तो नहीं है। लेकिन कैग को हक़ नहीं दिया गया कि वो इसे सार्वजनिक करें।