कोलकाता। लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र पश्चिम बंगाल की धरती पर पहली बार चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने बंग्ला में अप...
कोलकाता। लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र पश्चिम बंगाल की धरती पर पहली बार चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने बंग्ला में अपने भाषण की शुरुआत की और बंग्ला और अंग्रेज़ी में बोलते हुए अंत किया। इस दौरान वो केंद्र सरकार पर बरसे और बंगाल के लोगों से राज्य की तरह देश में भी परिवर्तन लाने में मदद करने का आह्वान किया।
कोलकाता में जनचेतना रैली को संबोधित करते हुए लाखों की भीड़ के सामने नरेंद्र मोदी अपने चिर परिचित अंदाज़ में दिखे, उन्होंने थर्ड फ्रंट को आड़े हाथों लिया, ममता बनर्जी की तारीफ़ की और केंद्र सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने पहली बार प्रणब मुखर्जी का नाम लेते हुए कांग्रेस पर हमला किया कि सोनिया गांधी को चाहिए ता कि वो साल 2004 में प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाती ना कि मनमोहन सिंह को।
देखिए नरेंद्र मोदी के भाषण की मुख्य बातें-
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मैं कोलकाता कई बार आया
लेकिन ऐसा जनसैलाब नहीं देखा
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तीसरे
मोर्चे के नेताओं को यहां देखना चाहिए, उन्हें पता चल जाएगा कि हवा का रूख किस ओर
है
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देश
के लोगों ने तय कर लिया है
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बंगाल
और गुजरात के बीच में एक ख़ास जुड़ाव है। गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर के भाई अहमदाबाद
में लम्बें समय तक ठहरे थे
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सुभाष
चंद्र बोस ने गुजरात में हरीपुरा कांग्रेस में प्रदर्शन किया था
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स्वामी विवेकानंद
का सपना रहा है कि हम भारत को दुनिया के किसी देश से आगे ले जाएंगे
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भारत के विकास के
लिए बंगाल का अहम योगदान है। अगर बंगाल भारत का नेतृत्व करता है तो भारत दुनिया का
नेतृत्व कर सकता है
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मैं बंगाल आया हूं
तो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की याद आ रही है। वो हमेशा कहते थे कि वैकल्पिक
राजनीति की आवश्यकता है
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2014 के चुनाव पहले के चुनावों से अलग हैं, सभी सियासी पंडित ग़लत साबित होंगे
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देश के लोग इस चुनाव को लड़ रहे हैं
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लोगों का एजेंडा सिर्फ एक है, कि 60 साल गुज़र गये अब हम और इंतज़ार नहीं कर सकते
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60 सालों में ढेरों वादे किया गये और उम्मीदें दिखाई गईं जिनका हमने इंतज़ार किया। देश अब और ज़्यादा इंतज़ार नहीं करेगी
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ग़रीबों को धन चाहिए, महिलाओं को सम्मान, खेतों को पानी और बेरोज़गारों को रोज़गार चाहिए
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क्या 60 सालों के बाद भी भारत के लोगों को इन अधिकारों के बारे में पूछने का हक़ नहीं है?
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विकास के साथ सम्मान, हम दोनों को साथ लेकर चल रहे हैं
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आप लोगों ने इस बार पश्चिम बंगाल की सरकार को बदलकर उस सरकार को अलविदा कहा जिसने 30-35 साल तक राज्य को बर्बाद किया
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आप लोगों ने परिवर्तन के लिए अपनी ज़िंदगियों की कुर्बानी दी लेकिन क्या परिवर्तन आया?
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मैं मानता हूं कि बंगाल ने देश को दिशा दी है। इस चुनाव में क्या बंगाल देश को दिशा दिखा सकता है?
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आप मुझे बंगाल की सारी सीटें दीजिए और फिर मुझसे जवाबदेही लिजिए कि मैंने आप लोगों के लिए क्या किया?
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2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बंगाल के लोगों की मदद करेगी। फिर फायदा किसे होगा?
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केंद्र में ऐसी सरकार होनी चाहिए जो पश्चिम बंगाल के लिए भी काम करे।
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अगर आप मुझे सारी सीटें देते हो, तो क्या मैं आपसे मिलने अक्सर नहीं आऊंगा? क्या मैं आपके लिये काम नहीं करुंगा?
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अगर पश्चिम बंगाल एक बार फिर बीजेपी को अपना लेता है तो हम आपकी सभी समस्याएं सुलझा देंगे
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अगर आप एक राज्य को बदलने के लिए ऐसा फ़ैसला ले सकते हैं तो देश को बदलने का भी फ़ैसला लें
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बंगाल वो राज्य है
जिसे मां सरस्वती और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त है
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इस राज्य में देश को काफी कुछ देने की शक्ति है, पहली एंबेसडर कार आपकी धरती पर बनी लेकिन अब यहां के लोगों को रोज़गार के लिए प्रदेश से बाहर जाना होता है
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वेस्ट बंगाल पिछड़ रहा है और मैं आपको कहना चाहता हूं कि हम और इतज़ार नहीं कर सकते
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मैं यहां इस भरोसे से आया हूं कि मैं यहां परिवर्तन लाऊंगा
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एक समय में पश्चिम बंगाल देश की कृषि में 10% योगदान करता था और अब ये महज़ 3-4% पर सिमट गया है
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क्या किसी ने मज़दूरों की ज़िंदगी में किसी तरह का बदलाव लाया?
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फैक्ट्रियां बंद हैं क्योंकि दिल्ली सरकार इन्हें ईंधन नहीं दे सकती और इसकी वजह से वहां बिजली नहीं है।
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महज़ 60% स्कूलों में ही लड़कियों के लिए शौचालय है। ये कैसा परिवर्तन है?
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आप कम्प्यूटर का इस्तेमाल कैसे करेंगे अगर बिजली ही नहीं होगी
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सिर्फ 35% स्कूलों में बिजली की आपूर्ति है। बच्चे किस तरह से पढ़ेंगे और सीखेंगे?
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थर्ड फ्रंट देश को
थर्ड ग्रेड का बना देगा
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इस बार बीजेपी को
वोट करिये, इससे तीन फायदे होंगे। ममता जी राज्य के विकास में मदद करेंगी। मैं
दिल्ली से आपकी मदद करुंगा और प्रणब दा तो आपके अपने ही हैं।
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अच्छा होता अगर प्रणब मुखर्जी देश के प्रधानमंत्री बनते
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उन्होंने (कांग्रेस) प्रणब दा को केंद्र सरकार में भी रखने से मना कर दिया
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साल 2004 में प्रणब दा सबसे वरिष्ठ नेता थे और अगर सोनिया जी प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहती थीं तो गद्दी प्रणब दा को दी जानी चाहिए थी ना कि मनमोहन सिंह को
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आप मुझे साथ दो, मैं आपको स्वराज दूंगा
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