the flat owner will pay extra compensation
नोएडा में फ्लैट खरीदने या बुक कराने वाले लाखों लोगों की जेब पर भारी बोझ पड़ने वाला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नोएडा प्राधिकरण ने किसानों को बढ़े हुए मुआवजे का भुगतान कर दिया और अब वह उसकी वसूली बिल्डरों से करने जा रहा है। ऐसे में साफ है कि बिल्डर अपनी जेब से तो भुगतान करेंगे नहीं। नोएडा के सेक्टर 71 से लेकर ग्रेटर नोएडा की सीमा तक बने सेक्टरों और एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ बसे सेक्टरों में जिन लोगों ने पैसा लगाया है, यह रकम उनसे ही वसूली जाएगी।
प्राधिकरण के इस फैसले की सबसे ज्यादा मार फ्लैट खरीदने वालों पर पड़ेगी। 2002 से 2009 के बीच अधिग्रहीत होने वाली जमीन का ज्यादातर हिस्सा बिल्डरों को आवंटित किया गया है। एक्सप्रेसवे और सेक्टर 71 के आस-पास डेढ़ से दो लाख फ्लैट बने होने का अनुमान है। जब प्राधिकरण मुआवजे का बोझ बिल्डरों पर डालेगा, तो बिल्डर फ्लैट खरीदने वालों से इसकी वसूली करेंगे। जानकारों का कहना है कि बिल्डर सिर्फ प्राधिकरण को दी गई धनराशि ही नहीं वसूलेंगे, बल्कि इसकी आड़ में फ्लैट खरीदारों से दोगुना पैसा वसूल करेंगे।
उद्योगों, शिक्षण संस्थानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों सहित सभी आवंटियों को बढ़ी कीमतें देनी पड़ेंगी। नतीजतन आसमान छूती नोएडा में जमीन की कीमतें आने वाले समय में दोगुनी हो जाएंगी। प्राधिकरण के इस कदम से आने वाले दिनों में नोएडा में जमीन की कीमतों में और उछाल आएगा। कीमत वसूलते ही इसका असर दिखाई देने लगेगा। पुराने आवंटियों के साथ नए आवंटनों पर भी इसका बोझ डाला जाएगा। इससे जमीन की कीमतों में इजाफा होना लाजिमी है।
दरअसल, बढ़े मुआवजे के रूप में प्राधिकरण अब तक 1200 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि दे चुका है, बाकी धनराशि दी जानी है। चुनाव तक प्राधिकरण अधिग्रहीत की गई जमीन, आवंटी और मुआवजे की रकम के अनुपात में आवंटियों से कितनी धनराशि वसूली जानी है, इसका विवरण तैयार कर लेगा। अनुमान है कि फ्लैट मालिकों को 10 से 15 फीसदी और पेमेंट करनी होगी। इसी क्रम में रेट भी बढ़ाए जाएंगे। किसानों को दिए जाने वाले अतिरिक्त मुआवजे की सबसे ज्यादा मार ग्रुप हाउसिंग पर पड़ने वाली है। अंतिम रूप से इसका बोझ तो फ्लैट खरीदारों पर ही पड़ना है।
दरअसल, 2002 से 2009 के बीच अधिग्रहित जमीन का ज्यादातर हिस्सा बिल्डरों को ग्रुप हाउसिंग के लिए आवंटित की गई है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ बसे ज्यादातर सेक्टर इसी दायरे में आएंगे। सेक्टर 71 से आगे और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सीमा तक बसे इलाकों में लगभग दो लाख फ्लैट बने होने का अनुमान है। अगर प्राधिकरण ने यह नीति लागू कर दी तो यहां के बिल्डरों को यह रकम चुकानी पड़ेगी और बिल्डर इसकी भरपाई फ्लैट खरीदारों से करेंगे। नोएडा प्राधिकरण की 181वीं बोर्ड बैठक की मद संख्या पांच में इसका जिक्र है।
मसलन ग्रेटर नोएडा में 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए प्राधिकरण ने बिल्डरों, उद्यमियों, शिक्षण संस्थानों सहित सभी आवंटियों पर अलग-अलग दरें तय कर दी थी। सर्वाधिक रेट बिल्डरों से लिया गया था। जानकारी के मुताबिक बिल्डरों को करीब 2015 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से अतिरिक्त धनराशि का भुगतान करना पड़ा। बिल्डरों ने उसका सारा बोझ बायर्स पर डाल दिया। एक बायर्स से 100 रुपये प्रति वर्ग फुट से भी अधिक धनराशि वसूली गई। लगभग वही रेट यहीं भी तय किए जाने का अनुमान है।
बादौली खादर, छिजारसी, बहलोलपुर, रायपुर खादर, गढ़ी चौखंडी, शाहपुर, गोवर्धनपुर, खादर व बांगर, लखनावली, चोटपुर, गेझा, रोहिल्लापुर, बेगमपुर, नलगढ़ा, गुलावली, असगरपुर, जागीर व छलेरा बांगर आदि गांव शामिल हैं। इन सभी जगहों पर अदालत के आदेश के बाद किसानों को अतिरिक्त मुआवजे के तौर पर कुल 1800 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने भी इसी तरह बिल्डरों से मुआवजे की अतिरिक्त रकम वसूली थी और बिल्डरों ने हाउसिंग सोसाइटियों में फ्लैट लेने वालों से। गत 12 फरवरी को नोएडा प्रधिकरण की बोर्ड बैठक में यह प्रस्ताव पास कर दिया गया है।
चुनाव होते ही इसे लागू करने की पूरी संभावना है। प्रस्ताव में साफ कहा गया है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद किसानों को दिए जाने वाले अतिरिक्त मुआवजे की भरपाई उनकी जमीन के आवंटियों से की जाएगी। जमीन के आवंटी से आशय उन तमाम बिल्डरों और संस्थानों से है, जिन्हें जमीन दी गई है। हाईकोर्ट ने 21 अक्तूबर, 2010 को 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश जारी किया था। इसके तहत मार्च 2002 से लेकर मार्च 2009 के बीच जिन किसानों की जमीन ली गई थी, उन्हें बढ़ी दर से मुआवजा दिया जा रहा है।
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