I dont change horse in the mid of the race
नई दिल्ली। राजद के नाराज सांसद रामकृपाल यादव के मान-मनौव्वल कार्यक्रम का पटाक्षेप आज खुद रामकृपाल ने प्रेस कांफ्रेस करते हुए कर दिया। रामकृपाल यादव ने प्रेस के सामने कहा कि "मीसा मेरी बेटी के जैसी है और उसके द्वारा दिए गए पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव को मैंने स्वीकार किया था लेकिन मेरी इच्छा थी कि इसका ऐलान राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू जी करें।" नाराज सांसद ने आगे कहा कि " लेकिन लालू जी ने अभी तक कोई ऐलान नहीं किया बल्कि उन्होंने ये कह दिया कि रेस में जब घोड़ा छोड़ दिया जाता है तो उस वक़्त उसे बदला नहीं जाता और मैंने अब घोड़ा छोड़ दिया है."
रामकृपाल के चेहरे और सम्बोधन में साफ़ झलक रहा था कि भाव-विह्वल हो चुके हैं. देख कर ऐसा लग रहा था कि अब रो पड़ेंगे और पार्टी और लालू के खिलाफ जाने का गम उनके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था. सांसद ने आगे कहा कि "मुझे ऐसा लगता है कल मीसा का मेरे घर पर आना बस एक राजनीतिक स्टंट और एक तरह का मेरे उप्र इमोशनल अत्याचार था. मैं बहुत भारी मन से पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देता हूँ लेकिन पार्टी का सदस्य अभी बना रहूँगा। पार्टी के साथ मेरा बहुत लगाव रहा। सालों साल मैंने पार्टी की सेवा की पर हमारी पार्टी कहीं ना कहीं भटक गई है। आज मैं दुखी हूं।"
रामकृपाल की आवाज भी भर्राई हुई थी। एक मजबूत चेहरा आज ऐसा लग रहा था मानों अब रो देगा। पूछे जाने पर यही बात दोहराते रहे "मैं नाराज नहीं हूं। बहुत दुखी हूं। आहत हूं। अभी तक तो राजद में ही हूं। बड़ी तकलीफ हुई है। प्रदेश भर के हमारे कार्यकर्ता दुखी हैं। मुझे इसकी चिंता है। मेरे लिए चुनाव लडऩा बहुत मतलब नहीं रखता है। पार्टी ने मुझसे पांच-पांच चुनाव लड़वाए हैं। बहुत सम्मान व प्यार दिया है। मैं लालू जी के बारे में कुछ नहीं बोलूंगा। गलत बात है कि मेरी भाजपा व जदयू नेताओं से बात हुई है।"
सांसद ने नाराज होते हुए कहा कि "मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। 4-5 दिन से बहुत परेशान हूं। मैंने कभी दूसरी पार्टी की तरफ नहीं देखा। पार्टी ने मुझे राज्यसभा में भेजा उसके लिए मैं बहुत आभारी हूं। लेकिन मेरी लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा थी। पार्टी की मजबूती के लिए मैंने बहुत काम किया। हर मौके पर पार्टी के साथ खड़ा रहा। उन्होंने कहा- 2009 में जब चुनाव हुआ था, तो मैं तीन बार पाटलिपुत्र से सांसद रह चुका था। मेरा उसी क्षेत्र से लगाव रहा। मुझे बिना बताये लालू यादव उसी सीट से चुनाव लड़े। वे हार गए। मैं पार्टी के हर संकट में साथ रहा। मेरी इच्छा जरूर थी कि मैं लोकसभा चुनाव लड़ूं। ठीक एक साल पहले मैंने लालू यादव प्रसाद को ये बात बताई थी। मगर निर्णय लालू प्रसाद यादव ने लिया, किसी ने विरोध नहीं किया। मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रेस का घोड़ा बनूंगा।"
अब अगर खबरजोन की सूत्रों की मानें तो अपने नाराज़ सांसद को मनाने लालू प्रसाद की बेटी और पाटलिपुत्र से पार्टी उम्मीदवार मीसा भारती दिल्ली पहुँच गयी हैं. लेकिन उनके मिलने से पहले ही रामकृपाल ने प्रेस कांफ्रेस कर दिया और अपनी व्यथा सबों के सामने रख दिए.
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