#P7News employees are still registering their protest by their indefinite Dharna inside the campus. These are journalists and their pens ar...
#P7News employees are still registering their protest by their indefinite Dharna inside the campus. These are journalists and their pens are still running. Few lines are here:
काश के तुमने हमें छेड़ा ना होता
आज भी ये गुलिश्तां मुनव्वर होता
वो फूल बागबां के बागी ना बनते
जो खुशबू को तूने छीना ना होता
काश के तुमने हमें छेड़ा ना होता
हम सीप के मोती थे, तूने समंदर बना दिया
तुम क़त्ल ना करते, ये ज़लज़ला ना होता
ज़रा खामोशी में उस शोर को सुनो
ना तू हम पे हंसता, ना ये तूफ़ान आता
काश के तुमने हमें छेड़ा ना होता
आज भी ये गुलिश्तां मुनव्वर होता
वो वजूद का रिश्ता था, ये वजूद की जंग है
अपनों से बस थोड़ी गुज़ारिश ही कर लेता
ग़ैरों के सामने हाथ फैलाना ना पड़ता
देर से भी तू दुरुस्त ना हो सका है
वरना ना ये जंग होती, ना ये भीख का कटोरा होता
काश के तुमने हमें छेड़ा ना होता
आज भी ये गुलिश्तां मुनव्वर होता
लगातार ख़बरों से अपडेट रहने के लिए खबरज़ोन फेसबुक पेज लाइक करें
काश के तुमने हमें छेड़ा ना होता
आज भी ये गुलिश्तां मुनव्वर होता
वो फूल बागबां के बागी ना बनते
जो खुशबू को तूने छीना ना होता
काश के तुमने हमें छेड़ा ना होता
हम सीप के मोती थे, तूने समंदर बना दिया
तुम क़त्ल ना करते, ये ज़लज़ला ना होता
ज़रा खामोशी में उस शोर को सुनो
ना तू हम पे हंसता, ना ये तूफ़ान आता
काश के तुमने हमें छेड़ा ना होता
आज भी ये गुलिश्तां मुनव्वर होता
वो वजूद का रिश्ता था, ये वजूद की जंग है
अपनों से बस थोड़ी गुज़ारिश ही कर लेता
ग़ैरों के सामने हाथ फैलाना ना पड़ता
देर से भी तू दुरुस्त ना हो सका है
वरना ना ये जंग होती, ना ये भीख का कटोरा होता
काश के तुमने हमें छेड़ा ना होता
आज भी ये गुलिश्तां मुनव्वर होता
लगातार ख़बरों से अपडेट रहने के लिए खबरज़ोन फेसबुक पेज लाइक करें