सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने आज यहां दिव्यांगों के लिए एक विशेष राष्ट्रीय आजीविका पोर्टल की शुरूआत की।
इस पोर्टल के जरिए दिव्यांग स्व-रोजगार ऋण, शिक्षा ऋण, कौशल परिक्षण, छात्रवृत्ति और रोजगार के बारे में सूचना संबंधी विभिन्न सुविधाओं को एक ही स्थान पर प्राप्त कर सकते हैं। राष्ट्रीय आजीविका पोर्टल की शुरूआत की अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और विजय सांपला भी उपस्थित थे।
पोर्टल की शुरूआत करते हुए थावरचंद गहलोत ने कहा कि दिव्यांगों के कौशल प्रशिक्षण को सरकार उच्च प्राथमिकता दे रही है और उसने लक्ष्य निर्धारित किया है कि अगले तीन वर्षों में 5 लाख दिव्यांगों को कुशल बनाया जाएगा। कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त ‘प्रशिक्षण साझीदारों’ के नेटवर्क के जरिए चलाया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए सरकार ने एक समय आधारित कार्य योजना तैयार की है, जिसके तहत प्रशिक्षण के बाद दिव्यांगों को निजी क्षेत्र में रोजगार दिया जाएगा।
अपने मंत्रालय की अन्य पहलों का उल्लेख करते हुए गहलोत ने कहा कि सरकार शिक्षा और चिकित्सकीय उपचार के लिए आर्थिक सहायता देने पर बहुत जोर दे रही है। हाल में मूक और बाधिर बच्चों की सहायता के लिए विशेष उपकरण संबंधी एक योजना शुरू की गई है। अब तक डेढ़ महीने के अंदर 305 बच्चों को ये उपकरण प्रदान किए गए हैं। इसके बड़े सकारात्मक परिणाम सामने आए है और ये बच्चें अब सामान्य बच्चों की तरह ही बोलने और सुनने में सक्षम हो गए हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि सरकार दिव्यांगों को पहचान पत्र देने के संबंध में एक कार्यक्रम चलाने पर विचार कर रही है, ताकि पहचान पत्र के जरिए दिव्यांगों को पूरे देश में सुविधाएं मिल सकें।
मंत्रालय के अधीन दिव्यांग अधिकारिता विभाग ने राष्ट्रीय दिव्यांग वित्त एवं विकास निगम (एनएचएफडीसी) को यह जिम्मेदारी दी है कि वह दिव्यांगों के लिए एक राष्ट्र स्तरीय आजीविका पोर्टल विकसित करे। राष्ट्र स्तरीय आजीविका पोर्टलwww.disabilityjobs.gov.in दिव्यांगों की रोजगार संबंधी हर प्रकार की मदद करेगा।
इस अवसर पर 100 दिव्यांग उद्यमियों की सफलता की कहानी संबंधी एक पुस्तक ‘यस वी कैन’ का विमोचन भी किया गया, जिसे एनएचएफडीसी के सहयोग से पेंगुइन ने प्रकाशित किया है।