मुंबई। भारतीय नौसेना के जहाज विक्रमादित्य और मैसूर 21 से 23 जनवरी, 2016 तक कोलम्बो के आधिकारिक दौरे पर हैं। दोनों जहाज मुम्बई स्थित भा...
मुंबई। भारतीय नौसेना के जहाज विक्रमादित्य और मैसूर 21 से 23 जनवरी, 2016 तक कोलम्बो के आधिकारिक दौरे पर हैं। दोनों जहाज मुम्बई स्थित भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े का हिस्सा हैं।
इस दौरान भारतीय युद्धपोत श्रीलंका की नौ सेना के साथ व्यावसायिक आदान-प्रदान करेंगे और दोनों देशों के बीच नजदीकी सहयोग को बढ़ाएंगे। इसके अलावा कई खेल और सामाजिक गतिविधियों की भी योजना है जिससे दोनों देशों की नौसेना के बीच आपसी समझ और संबंध मजबूत होंगे। कोलम्बो से रवाना होने पर दोनों जहाज श्रीलंका की नौसेना के साथ एक अभ्यास भी करेंगे।
पश्चिमी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमाण्डिंग रियर एडमिरल रवनीत सिंह, एनएम, विक्रमादित्य पर अपना झण्डा लहरा रहे हैं। आईएनएस विक्रमादित्य की कमान कैप्टन कृष्णा स्वामीनाथन और आईएनएन मैसूर की कमान कैप्टन एम. पॉल सैमुएल के हाथों में है।
भारत और श्रीलंका नजदीकी समुद्री पड़ोसी हैं और दोनों के बीच मैत्रीपूर्ण तथा मजबूत सामरिक तथा राजनयिक संबंध हैं। दोनों देशों की नौसेनाएं “स्लीनेक्स अभ्यास” के दौरान नियमित आदान प्रदान करती हैं, जो हर दूसरे वर्ष आयोजित होता है। भारतीय नौसेना विभिन्न व्यावसायिक स्कूलों में श्रीलंका के नौसेना कर्मियों को प्रशिक्षण भी देती है। भारतीय युद्धपोतों का मौजूदा दौरा श्रीलंका के साथ भारत के संबंधों के महत्व को रेखांकित करता है और दोनों देशों के बीच मौजूदा संबंध को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।
आईएनएस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना के दो विमानवाहक पोतों में से एक है। यह जहाज आधुनिक तकनीक से लैस है और इसमें कई तरह के हथियार और संवेदी उपकरण लगे हैं। जहाज पर मिग-29के लड़ाकू जहाज, केएम-31 एईडब्ल्यू हेलीकॉप्टर, बहुआयामी सी-किंग और चेतक हेलीकॉप्टर मौजूद हैं। जहाज की लंबाई 285 मीटर और चौड़ाई 60 मीटर से अधिक है। जहाज के 23 डैक की ऊंचाई 60 मीटर है। उसके साथ घरेलू स्तर पर निर्मित अग्रणी मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मैसूर तैनात रहता है।