Do not give toll charge

चुनावी मौसम आने के ठीक पहले 'मनसे' और 'शिवसेना' में एक प्रतियोगिता सी शुरू हो जाती है कि कौन मुम्बईकरों का सबसे बड़ा हितैषी है। अभी कुछ दिनों पहले ही शिवसैनिकों ने एक टोल पर हमला बोल दिया था और वहाँ घंटों मजमा जमाया हुआ था। इनलोगों ने सारे टोल बैरियर तोड़ डाले और टोल बूथों में आग लगा दिया था। आम जनता के फायदे के नाम पर आवाज़ उठाने वाली ये दोनों पार्टियां हमेशा आम जनता को परेशानियों में डालती रहती हैं।

महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने उत्तर भारतियों के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। मुम्बई में एक सिनेमा हॉल में भोजपुरी फ़िल्म चल रही थी और इनके कार्यकर्ता वहाँ घुस के आतंक मचाना शुरू कर दिए। लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही। जब ये आतंक मुम्बई के सड़कों तक पहुँच गया, 'मनसे' और 'शिवसेना' के गुंडे सड़कों पर लोगों से प्रदेश पूछ कर पीटने लगे फिर भी पुलिसवालों की आँखें नहीं खुली। ऐसा लग रहा था जैसे पुलिस इनके ही समर्थन में खड़ी है,क्यूंकि पुलिस इन गुंडों पर कारवाई करने के बजाय उत्तर भारतीय को ट्रैन में बिठा कर इनके प्रदेश भेज रही थी।
आज भी जिस तरह का बयान राज ठाकरे ने दिया है या फिर उद्धव ठाकरे के गुंडों ने जिस तरह से पिछले दिनों टोल नाकों पर आतंक मचाया था, पुलिस ने इन सबों पर कोई कारवाई नहीं की. जबकि महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार है वो चाहे तो इसपर लगाम लगा सकती है। लेकिन कांग्रेस भी इसका राजनितिक फायदा उठाने से नहीं चूकना चाहती। क्यूँकि 'मनसे' और 'शिवसेना' आपस में जितना लड़ेंगे उसका सीधा फायदा कांग्रेस को वोटों के तौर पर होगा। आखिर ये कैसी राजनीति है, जनता मरती कटती रहे लेकिन पार्टिया और राजनेता अपनी राजनीतिक रोटीयाँ सेंकते रहें।
लगातार ख़बरों से अपडेट रहने के लिए खबरज़ोन फेसबुक पेज लाइक करें